Thursday, 31 July 2025

हां भइया, जीवन है ये! - मुंशीप्रेमचंद को समर्पित!

शीर्षक: हां भइया, जीवन है ये!

हां भइया, जीवन है ये —
ना कोई मेले की चकाचौंध, ना छप्पन भोग,
बस आधी रोटी, और फटी धोती का संजोग।
टूटे खपरैल में सपने टपकते हैं,
मां की सूखी छाती पर बच्चे सिसकते हैं।

चौधरी की चौखट झुके-झुके नशा हो गई,
बापू की कमर खेती करते-करते दोहरी हो गई।
और ऊपर से पटवारी की आँखें लाल —
"अरे गरीब! तू कागज न पढ़, बस दे दस्तख़त काल!"

कहानी नहीं है, भइया —
गोबर-लिपे आँगन में
जीवन की असलियत बिछी पड़ी है —
जहाँ 'होरी' रोज़ मरता है,
'धनिया' गुस्से से हँसती है,
और 'झुनिया' पाप में भी प्रेम का बीज बोती है।

यहाँ 'होरी' हल जोतते-जोते
अपने ही खेत में दम तोड़ देता है,
'धनिया' की आंखों में आँसू नहीं —
अब केवल सवाल होता है।

"क्यों साहेब!
हम ही हमेशा कर्ज़ में क्यों जनमते हैं?"
पटवारी मुस्काता है,
और तहसील में ग़रीबों का नाम ही
'गायब' रहता है।

देखो, प्रेमचंद का 'नमक का दरोगा'
अब भी कोतवाल के यहाँ झोला ढोता है,
'कफ़न' ओढ़े घीसू-माधव
अब यूट्यूब पर वायरल होते हैं।

माटी की महक,
धूल की चादर,
पसीने की रोटी —
इन्हीं में तो जीते हैं प्रेमचंद के लोग,
और इन्हीं की चीखें
बन जाती हैं 'शशि' की आवाज़।

कह दो साहब से —
जीवन की असली कहानी न वातानुकूलन में लिखी जाती है,
न महलों में महफूज़ रहती है,
ये तो भूख की हांडी में सीटी मारती है,
कर्ज़ के ब्याज में बुढ़ापे तक खौलती है।

अरे, पूछो उन लोगों से —
जिन्होंने हर बारिश में तिरपाल समेटा,
हर चुनाव में लाइन में खड़ा रहकर
“जय हिंद” कहा,
मगर इस बार उनके नाम भी
मतदाता सूची से 'ग़ायब' हो गए!

“कागज़ नहीं है भइया?”
— तो तुम नागरिक नहीं!
घर है, खेत है, मज़दूरी की पर्ची है,
आधार कार्ड भी है, राशन कार्ड भी,
मगर सरकारी फ़ाइल में
तुम "मौजूद" नहीं!

ये वही लोग हैं:
जो ईंट भट्ठों पर दीवार बनाते हैं,
रेलवे पटरी बिछाते हैं,
और हर शहर की नींव को
अपना ख़ून देते हैं —
मगर जब पहचान की बारी आती है,
तो फॉर्म में "एरर" आ जाता है।

हम कौन हैं भइया?
हम वो हैं
जो हर तिरंगे में शामिल हैं
मगर हर सूची से बाहर।
हम वो हैं
जिनके पैरों की मिट्टी से
राजधानी चमकती है —
मगर हमारे नाम
उसी राजधानी के सिस्टम में "अज्ञात" हैं।

तो सुन लो साफ़-साफ़:
ये ग़रीब की पुकार है,
कफ़न के नीचे दबे
एक और ‘माधव’ की बात है।

तुम सोचते हो कविता बस गालिब की महफ़िल में है?
अरे, ये तो उस किसान की चीख है,
जो बीज बोकर भी
भूखा मर गया!
जो सबको अनाज देकर भी
रोटी और प्याज पर जी गया!
हां भइया, जीवन है ये!

©️✍️शशि धर कुमार, कटिहार, बिहार
Instagram ID: ishashidharkumar
#शशिधरकुमार #shashidharkumar #हिन्दीकविता

Wednesday, 14 May 2025

Symphony की ठगी

 Symphony की ठगी

मैंने हाल ही में Symphony कंपनी से एक कूलर (https://symphonylimited.com/product/diet-3d-55i-desert-air-cooler/) खरीदा। आर्डर किया २६ अप्रैल को और प्रोडक्ट मिला ४ मई को और कम्प्लेन रजिस्टर किया १० को लेकिन इसके बावजूद ये लोग ना तो प्रोडक्ट बदल रहे है ना ही ठीक कर रहे है।  कंपनी खुद को "भारत का नंबर 1 ब्रांड" कहती है, लेकिन मुझे जो प्रोडक्ट मिला वह पूरी तरह से खराब (Faulty) था। मैंने तत्काल कस्टमर केयर से संपर्क किया। लेकिन क्या मिला? न रिप्लेसमेंट, न रिपेयर। उल्टा अब कंपनी मुझे ही चार्ज करने की धमकी दे रही है — वो भी उस प्रोडक्ट के लिए जो उनकी गलती से खराब निकला!

यह सिर्फ़ मेरी नहीं, सैकड़ों ग्राहकों की कहानी है: जब मैंने सोशल मीडिया पर अपना अनुभव साझा किया, तो बहुत से लोगों ने बताया कि Symphony ने उनके साथ भी यही धोखा किया है। कोई कह रहा है मोटर जली हुई आई, कोई कह रहा है एक हफ्ते से सर्विस इंजीनियर नहीं आया, किसी को कूलर ही नहीं मिला।

यह उपभोक्ता अधिकारों का खुला उल्लंघन है: Consumer Protection Act 2019 के तहत यदि कोई उत्पाद दोषपूर्ण हो, तो ग्राहक को रिफंड, रिपेयर या रिप्लेसमेंट का हक़ है। लेकिन Symphony:

  • दोषपूर्ण उत्पाद भेजता है,
  • फिर ग्राहक को ही चार्ज करता है,
  • और फिर सेवा देने में आनाकानी करता है।

यह सरासर ठगी और उपभोक्ता शोषण है।

मेरी स्पष्ट मांगें:
1. मुझे पूरी रिफंड दी जाए।
2. कंपनी सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगे और सुधार की गारंटी दे।
3. इस पूरे मामले की जाँच हो ताकि भविष्य में कोई और ठगा न जाए।

आपके लिए सलाह:
कोई भी प्रोडक्ट खरीदने से पहले Trustpilot, MouthShut, Google Reviews पर ब्रांड चेक करें।
ग्राहक होने के नाते अपने अधिकार जानें।
यदि आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो आप यहाँ शिकायत कर सकते हैं:
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन – 1800-11-4000
शिकायत पोर्टल – [www.consumerhelpline.gov.in](http://www.consumerhelpline.gov.in)
ईमेल करें – [support-ncdrc@nic.in](mailto:support-ncdrc@nic.in)
Twitter पर पोस्ट करें – अपनी कहानी और सबूतों के साथ

Symphony:
Facebook:  https://www.facebook.com/Symphonylimited
Instagram: https://www.instagram.com/symphonylimited/
Twitter: https://x.com/symphonylimited
Linkedin: https://in.linkedin.com/company/symphony-limited-ahmedabad-india
Email: info@symphonylimited.com
Telephone:+91-79-66211111

अपील: Symphony जैसी कंपनियाँ देश के करोड़ों ग्राहकों का भरोसा तोड़ रही हैं। कृपया इस विषय को प्रमुखता दें। यह सिर्फ़ एक उपभोक्ता का मामला नहीं, यह न्याय, ईमानदारी और सिस्टम की जवाबदेही का सवाल है। अब चुप रहना विकल्प नहीं है!

Symphony – दोषपूर्ण उत्पाद देने के बाद ग्राहक से पैसे माँगना कौन सा बिजनेस मॉडल है?

अगर आप भी पीड़ित हैं, इस पोस्ट को शेयर करें और आवाज़ उठाएँ। मैंने रिव्यु भी पोस्ट किया लेकिन इनलोगों ने approve ही नहीं किया। सोशल मीडिया पर कमेंट किया लेकिन सिर्फ "Thank you for your feedback! If you have any further questions, please send us a DM (Direct message). We're always here to assist you😊" यही भेजते है लेकिन जब आप DM करो तो कोई मैसेज नहीं आता, ऐसा लगता है सिर्फ गोल गोल घुमाने की बात करते है और वास्तविक में कुछ करते नहीं है।   

सलाह: सिम्फनी का कूलर कभी ना ख़रीदे और अगर आप खरीदते है तो आपको समस्या का सामना करना पड़ सकता है और कम्पनी आपको किसी भी तरह का कंपनसेशन नहीं देगी और आप इस ग़लतफ़हमी में मत रहिएगा की आपको consumer forum से किसी भी तरीके की कोई राहत मिल सकती है। यह भारत है और यहाँ कंपनियां ग्राहकों को चूसने में विश्वास रखती है जितना बड़ा नाम उतना बड़ा ही ठग। 

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