Sunday 13 November 2016

भारतीय नोटों का विमुद्रिकरण

indian-rupee-symbolमुझे बड़ा आश्चर्य होता है जब हमारे सोशल मीडिया के बुद्धिजीवी कह रहे है कि 500 और 1000 के नोट पर बैन से लोगो को तकलीफ हो रही है। तो मैं आपको सही करने की कोशिश करता हूँ क्योंकि यहाँ पर आप तकनिकी तौर पर कतई सही नहीं है क्योंकि 500 और 1000 के नोट बैन नहीं हुए है सरकार आपसे कह रही है कि आप इसको नए नोट के साथ बदले। इसको अर्थशास्त्र की भाषा में विमुद्रिकरण कहते है। क्यों बदलना है क्योंकि सरकार को लगता है जो 500 और 1000 के नोटों के रूप में जो नकली नोट मार्किट में हर दिन भेजा जाता है आतंकवादी संगठनों और नशे के व्यापारियों द्वारा अगले कुछ सालों तक उसपर लगाम लगी रहेगी। वैसे भी अम्बेडकर साहेब कह गए की हर दसवें साल हमें अपनी मुद्रा जो सबसे ज्यादा प्रचलन में हो उसे बदल देना चाहिए।

यह नोट को बदलवाने की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है। कोई कहेंगे की बैंक इसको अपनी तरफ से लगातार इस बात को करके भी कर सकते थे, क्यों अचानक से यह किया गया। अगर बैंक लगातार इस कोशिश को करती शायद मुमकिन है जिनके पास बिना मूल्यांकन वाली आय है उस पैसे को भी बदल दिया जाता।

यह कोई आज लिया गया फैसला नहीं कह सकते है बातो में तह पर जाने की कोशिश करे फिर पता चलेगा कि बात कहाँ से शुरू होकर यहाँ तक पहुंची है।

१) सबसे पहले जन धन योजना लागू कर उनलोगों को अर्थशास्त्र की मुख्य धारा में जोड़ने की कोशिश।

२) उसके बाद सारे सब्सिडी को बैंक अकाउंट और आधार कार्ड के साथ लिंक करना।

३) उसके बाद ITR को पैन के साथ साथ आधार या पासपोर्ट के साथ लिंक करना।

४) उसके बाद का यह कदम साबित करता है सरकार ने इस कदम को उठाने दो साल पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।

लेकिन इस विमुद्रिकरण को और सही तरीके से लागू किया जा सकता था। जिसको आप सरकार की गलती के तौर पर देख सकते है। जो मेरे ख्याल से निम्न उपाय किये जा सकते थे:

१) 1 महीने पहले से ATM में 100 के नोट डालने थे 500 और 1000 के नोट को कम करते जाना था दिन ब दिन।

२) RBI को 1000 और 500 के नोट वापस लेते रहने चाहिए थे ताकि मार्किट में 1000 और 500 का नोटों का व्यवहार कम होता जाता।

३) RBI को 100 के नोट का सही व्यवहार में आने का इंतज़ार करते रहना चाहिए था। हो सके तो और 100 के नोटों को छापकर मार्किट में डालते रहना चाहिए था ताकि 500 और 1000 के नोट के वापस लेते रहने से मार्किट में पैसे की कमी से निपटा जा सकता था।

४) 1 महीने पहले से ATM का अपग्रेड शुरू कर देना चाहिए था।

धन्यवाद।

Friday 4 November 2016

छठ महापर्व या प्रकृति का सम्मान

wp-1478252870556.pngछठ महापर्व सिर्फ लोक आस्था का पर्व नहीं है यह एक ऐसा पर्व है जो प्रकृति में आस्था को जागृत करता है और मनुष्य का प्रकृति के प्रति आगाध प्रेम को दर्शाता है। मैं तो इससे ज्यादा ऊपर जाकर यह कहूंगा कि यह एक मात्र हिन्दू पर्व है जिसमे किसी भी तरह की प्राकृतिक क्षति को व्यवहार में नहीं लाकर प्रकृति के प्रेम को दर्शाया जाता है जो किसी और हिन्दू पर्व में नहीं है।

छठ महापर्व में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी आस्था और और अपने विश्वास के साथ साथ लोग अपनी कृतज्ञता दर्शाते है जो किसी और पर्व में नहीं। सूर्य को अर्घ्य तो हिन्दू लोग रोज़ देते है लेकिन छठ महापर्व की खासियत यह है कि आपको नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अर्घ्य देना होता है। अगर आप नजदीक से छठ पूजा में उपयोग होने वाले प्रसाद के रूप में या किसी भी तरह उपयोग होने वाले सामानों का प्रकृति से गहरा नाता होता है जो यह साबित करता है कि इस पर्व को मनाने वाले व्रतियों का प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाता है।

हम जो वाकई में प्रकृति का सम्मान करना भूल गए है यह महापर्व हमें उसके प्रति जागरूक करता है चाहे वह सामाजिक साफ सफाई की बात हो या लोगो का आपस में घाटो पर विचारो का आदान प्रदान जिसकी हमें आज के आधुनिक और डिजिटल युग में बहुत ही जरुरत है उससे रूबरू करवाता है।

आशा करते है हम जितना सम्मान इस पर्व के दौरान लोगो के साथ साथ प्रकृति का करते है उतना ही सम्मान महापर्व के ख़त्म होने के बाद भी करेंगे। यह हमारे लिए सालों भर एक प्रकार होना चाहिए तभी वाकई में सूर्य या प्रकृति के प्रति हमारी सच्ची अर्घ्य होगी।

आप सभी को एक बार फिर से छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और आशा करते है यह महापर्व आपके और आपके पूरे परिवार को मानसिक शांति के साथ साथ आने साल में सुख और समृद्धि प्रदान करे।

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