Showing posts with label Chhath. Show all posts
Showing posts with label Chhath. Show all posts

Saturday, 2 November 2019

Chhath Mahaparva

#छठपर्व मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत पसंद है क्योंकि यह लोक आस्था का ही नही शुद्ध रूप से प्रकृति की महाउपासना का सबसे बड़ा महापर्व है जिसमें पूरी प्रकृति को सम्मिलित किया जाता है बिना किसी छलावे को सम्मिलित किये हुए।

यह एक ऐसा पर्व है आप इसमें अपने अहं को शामिल नही कर सकते है चाहे आप धन के किसी भी समुदाय से आते हो आप इस पर्व को करने में सक्षम है अगर नही है तो भी आप सहायता लेकर सकते है लोग करते भी है। 

यह एक ऐसा पर्व है जिसकी तैयारी पहले से नही कर सकते है क्योंकि इसमें आप कोई भी वस्तु उपयोग में नही ले सकते है जो सीधे प्रकृति प्रदत्त नही हो। जैसे खरना के प्रसाद खीर में किसी तरह का ड्राई फ्रूट्स का उपयोग नही होना। इस पर्व में प्रकृति प्रदत्त समय या ऋतु के अनुसार पाए जाने वाले वस्तुओं का सुप में प्रकृति का सबसे बड़ा आयाम सूर्य को उपासना के रूप में आह्वान करना ही इसकी महत्ता को साबित करता है। जैसे कच्चा अदरक या कच्चा हल्दी पत्तो वाला ऐसे कई वस्तु जो प्रकृति प्रदत्त है और ऋतु के अनुसार उपलब्ध होता है उसका भी सुप में उपयोग यह दर्शाता है कि हर एक वस्तु जो प्रकृति ने हमे उपलब्ध कराया है उसकी उपासना का समय है। उगते सूर्य को तो सभी समुदाय में पूजा जाता है लेकिन ढलते सूरज की उपासना यह दर्शाता है हम उस सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी कृतज्ञता दर्शाते हैं कि आप दिन भी हमारे लिए जले है और असंख्य जीवों को जीवन प्रदान किया है उसके लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है।

एक बार फिर से सभी व्रतियों को प्रकृति की महाउपासना की शुभकामना और आशा है  आप सभी पूरे विश्व के मानव समुदाय के कल्याण की प्रार्थना कर हम सभी को अनुगृहीत करेंगे।

Friday, 4 November 2016

छठ महापर्व या प्रकृति का सम्मान

wp-1478252870556.pngछठ महापर्व सिर्फ लोक आस्था का पर्व नहीं है यह एक ऐसा पर्व है जो प्रकृति में आस्था को जागृत करता है और मनुष्य का प्रकृति के प्रति आगाध प्रेम को दर्शाता है। मैं तो इससे ज्यादा ऊपर जाकर यह कहूंगा कि यह एक मात्र हिन्दू पर्व है जिसमे किसी भी तरह की प्राकृतिक क्षति को व्यवहार में नहीं लाकर प्रकृति के प्रेम को दर्शाया जाता है जो किसी और हिन्दू पर्व में नहीं है।

छठ महापर्व में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी आस्था और और अपने विश्वास के साथ साथ लोग अपनी कृतज्ञता दर्शाते है जो किसी और पर्व में नहीं। सूर्य को अर्घ्य तो हिन्दू लोग रोज़ देते है लेकिन छठ महापर्व की खासियत यह है कि आपको नदी या तालाब में जाकर सूर्य को अर्घ्य देना होता है। अगर आप नजदीक से छठ पूजा में उपयोग होने वाले प्रसाद के रूप में या किसी भी तरह उपयोग होने वाले सामानों का प्रकृति से गहरा नाता होता है जो यह साबित करता है कि इस पर्व को मनाने वाले व्रतियों का प्रकृति के प्रति सम्मान दर्शाता है।

हम जो वाकई में प्रकृति का सम्मान करना भूल गए है यह महापर्व हमें उसके प्रति जागरूक करता है चाहे वह सामाजिक साफ सफाई की बात हो या लोगो का आपस में घाटो पर विचारो का आदान प्रदान जिसकी हमें आज के आधुनिक और डिजिटल युग में बहुत ही जरुरत है उससे रूबरू करवाता है।

आशा करते है हम जितना सम्मान इस पर्व के दौरान लोगो के साथ साथ प्रकृति का करते है उतना ही सम्मान महापर्व के ख़त्म होने के बाद भी करेंगे। यह हमारे लिए सालों भर एक प्रकार होना चाहिए तभी वाकई में सूर्य या प्रकृति के प्रति हमारी सच्ची अर्घ्य होगी।

आप सभी को एक बार फिर से छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और आशा करते है यह महापर्व आपके और आपके पूरे परिवार को मानसिक शांति के साथ साथ आने साल में सुख और समृद्धि प्रदान करे।

Featured Post

हां भइया, जीवन है ये! - मुंशीप्रेमचंद को समर्पित!

शीर्षक: हां भइया, जीवन है ये! हां भइया, जीवन है ये — ना कोई मेले की चकाचौंध, ना छप्पन भोग, बस आधी रोटी, और फटी धोती का संजोग। टूटे खपरैल में...