#छठपर्व मुझे व्यक्तिगत तौर पर बहुत पसंद है क्योंकि यह लोक आस्था का ही नही शुद्ध रूप से प्रकृति की महाउपासना का सबसे बड़ा महापर्व है जिसमें पूरी प्रकृति को सम्मिलित किया जाता है बिना किसी छलावे को सम्मिलित किये हुए।
यह एक ऐसा पर्व है आप इसमें अपने अहं को शामिल नही कर सकते है चाहे आप धन के किसी भी समुदाय से आते हो आप इस पर्व को करने में सक्षम है अगर नही है तो भी आप सहायता लेकर सकते है लोग करते भी है।
यह एक ऐसा पर्व है जिसकी तैयारी पहले से नही कर सकते है क्योंकि इसमें आप कोई भी वस्तु उपयोग में नही ले सकते है जो सीधे प्रकृति प्रदत्त नही हो। जैसे खरना के प्रसाद खीर में किसी तरह का ड्राई फ्रूट्स का उपयोग नही होना। इस पर्व में प्रकृति प्रदत्त समय या ऋतु के अनुसार पाए जाने वाले वस्तुओं का सुप में प्रकृति का सबसे बड़ा आयाम सूर्य को उपासना के रूप में आह्वान करना ही इसकी महत्ता को साबित करता है। जैसे कच्चा अदरक या कच्चा हल्दी पत्तो वाला ऐसे कई वस्तु जो प्रकृति प्रदत्त है और ऋतु के अनुसार उपलब्ध होता है उसका भी सुप में उपयोग यह दर्शाता है कि हर एक वस्तु जो प्रकृति ने हमे उपलब्ध कराया है उसकी उपासना का समय है। उगते सूर्य को तो सभी समुदाय में पूजा जाता है लेकिन ढलते सूरज की उपासना यह दर्शाता है हम उस सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी कृतज्ञता दर्शाते हैं कि आप दिन भी हमारे लिए जले है और असंख्य जीवों को जीवन प्रदान किया है उसके लिए हम आपका आभार व्यक्त करते है।
एक बार फिर से सभी व्रतियों को प्रकृति की महाउपासना की शुभकामना और आशा है आप सभी पूरे विश्व के मानव समुदाय के कल्याण की प्रार्थना कर हम सभी को अनुगृहीत करेंगे।