सर्वप्रथम मैं बिहार के धुरंधर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि प्रकट करता हूँ। 🙏
बिहार के धुरंधर गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जी सिर्फ गणित के नही बिहार के साथ साथ पूरे गणित की दुनिया के लिए अमूल्य धरोहर थे। आज उनका इंतकाल पटना के पटना मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में हुआ लेकिन इंतकाल के बाद भी उनके शव को गाँव तक ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस मुहैया ना कराया जाना जहाँ PMCH के लिए शर्मनाक है साथ में बिहार की सरकार की संवेदनशीलता को भी कटघरे में खड़ा करती है।
यह सरकारी विफलता की कहानी नही कहता है यह हमारे द्वारा चुनी गई सरकार एक सामान्य मनुष्य के प्रति कितनी संवेदनशील और व्यवहारिक है यह भी दर्शाता है। एक जनमानस होने के नाते ऐसी बातों का जवाब हमारे द्वारा चुनी हुई सरकारों से मांगा जाना चाहिए कि क्यों सरकार ऐसी किसी भी काम को पूरी संवेन्दनशीलता के साथ क्यो नही अपना फर्ज समझकर नही निभाती है।
ऐसी वाक़यो पर सभी के द्वारा सरकारों से जवाब मांगा जाना चाहिए बिना किसी राजनीति के लेकिन राजनैतिक पार्टियां तो राजनैतिक पार्टियां ठहरी वे अगर राजनीति नही करेंगी तो कौन करेंगी। लेकिन सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि इतने बड़े गणितज्ञ का इंतकाल हुआ और किसी भी तथाकथित बड़े बड़े टीवी चैनल के बड़े बड़े एंकरो ने एक सहानुभूति के शब्द तक उजागर नही किये वे भला क्यों करेंगे उनकी टीआरपी तो तब बढ़ेगी जब वे आज उच्चतम न्यायालय के फैसले के लिए सरकार की पीठ ठोंकने में लगी हुई है। यह देश का दुर्भाग्य है कि हम वही देख रहे है जो हमे दिखाया जाता है हम अपने हिसाब से न्यूज़ चैनल पर छाए जाने वाले कंटेंट को प्रभावित नही कर पा रहे है।
शायद आज भी हम सदियों पुराने जीवन को जी रहे है जिसपर किसी और का हक़ है और वही हमे पीछे से हांक रहा है। और हम उनके कहने से बढ़े जा रहे है। किसी भी क्षेत्र में हमे बताया जा रहा है कि हम क्या देखेंगे, हम क्या खाएंगे, कैसे रहेंगे हर बात पर सिर्फ चंद मुठ्ठी भर लोगो का चलता है और वही दुनिया भी चला रहे है।
एक संवेदनशील व्यक्ति के होने के नाते अगर ऐसी बातें आपको प्रभावित नही करती है तो आप मानव नही हो सकते हाँ आप एक रोबोट जरूर हो सकते है क्योंकि आपके अंदर कोई संवेदना नही है।
यह हमेशा याद रखिये जिस मुल्क में शिक्षा और शिक्षाविदों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है वह मुल्क कभी अपने आवाम के हक़ और हुकूक की बात नहीं कर सकता है। 😢
धन्यवाद
शशि धर कुमार
Featured Post
Katihar - कटिहार
कटिहार अक्टूबर महीना म अस्तित्व म पचास साल पहले अइले छेलै, मतलब दु अक्टूबर के पचासवाँ स्थापना दिवस मनैलके। कटिहार र साहित्य, संस्कृति आरू इत...
-
दिल्ली में मानसून के साथ इस बार बाढ़ की घटना ने पूरे भारत का दिल दहला दिया तो सोचिये यमुना किनारे रहने वालों के मन में क्या चल रहा होगा। यमु...
-
कटिहार अक्टूबर महीना म अस्तित्व म पचास साल पहले अइले छेलै, मतलब दु अक्टूबर के पचासवाँ स्थापना दिवस मनैलके। कटिहार र साहित्य, संस्कृति आरू इत...
-
हिंदी पखवाड़ा सरकारी तौर पर १५ दिन का कार्यक्रम होता है जो लगभग हर सरकारी संस्थानों में मनाया जाता है। इसमें हर संस्थान अपने-अपने यहाँ हिंदी...