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हां भइया, जीवन है ये! - मुंशीप्रेमचंद को समर्पित!

शीर्षक: हां भइया, जीवन है ये! हां भइया, जीवन है ये — ना कोई मेले की चकाचौंध, ना छप्पन भोग, बस आधी रोटी, और फटी धोती का संजोग। टूटे खपरैल में...