Wednesday, 1 January 2020

Happy New Year 2020

दुनिया फेसबुक या किसी भी सोशल मीडिया से एकदम अलग है। दुनिया वैसी नही है जैसी फेसबुक या किसी न्यूज़ चैनल में दिखाई जाती है। है कुछ लोग जो सोशल मीडिया पर अपना मुँह छुपाकर धर्म की आड़ लेकर बहुत सारी गलत और अफवाह फैलाते है उन्हें यह पता होता उनका चेहरा किसी को पता तो चलेगा नही लेकिन उनकी अफवाह फैल जरूर जाएगी। क्योंकि उन्हें यह भी पता है कि है बहुत सारे लोग जो फेसबुक या व्हाट्सएप या ट्वीटर पर कुछ भी शेयर कर दो उन्हें सही ही लगता है।

हमारे पड़ोस में कोई नही जिन्हें हम यह कहे कि हम तुमसे वह सामान इसीलिए नही खरीदेंगे क्योंकि तुम हमारे मजहब के नही हो। हम तुमसे वह सेवाएं नही लेंगे क्योंकि तुम फलां मजहब के मानने वाले हो। मैं नही कहता कि हर मजहब में हर कोई एक सा ही है लेकिन हर धर्म प्यार जरूर बाँटना सिखाता है लेकिन कुछ लोगों के कहने और लिखने से हम जरूर प्रभावित होते है लेकिन उस प्रभाव को जमीन पर तौलकर जरूर देखा जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर पहुंचते ही ऐसा लगता है अब तो दुनिया ख़त्म होने ही वाली है और हमारे आस पास सबकुछ जलकर खाक ही होने वाला है और हम कुछ दिनों के मेहमान है।

मैंने पहले भी कहा है कि ऐसा नही है कि समाज मे कुछ गलत नही होता है लेकिन अगर 95% वाले बहुसंख्यक शांति के साथ सबके साथ मिलकर जीना चाहते है तो ये 5% वाले अल्पसंख्यक के चक्कर में हम अपनी वास्तविक पहचान क्यों बिगाड़ने पर लगे हुए है। लेकिन गलत को हमेशा गलत कहने का जज़्बा होना चाहिए यह तभी संभव है जब आप जाति धर्म और संप्रदाय से ऊपर उठकर मानवता के नजरिये से सोच पाएंगे। हमारी पढ़ाई किस काम की जब हम हर बात को एक मजहब या एक जाति या एक सम्प्रदाय के नजरिये से देखना शुरू करे। हमारी पढ़ाई का मतलब तो तब सार्थक होगा जब हम किसी भी बात को एक सामान्य नागरिक या एक सामान्य श्रोता या उस बात की तह तक पहुँचने के लिए हर संभव सामान्य ज्ञान या सामान्य तार्किक बुद्धि का इस्तेमाल करे।

आइये नए साल में यह सोचना शुरू करे कि चाहे कोई, जो भी नफरत फैलाने की कोशिश करेगा उससे हम दूर रहेंगे। नही तो कम से कम उसके विचार को अपने दिमाग पर हावी होने नही देंगे।

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