Friday, 6 November 2020

बिहार का चुनावी दंगल

 बिहार में आजकल बिहार विधानसभा के लिए चुनावी प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है जिसके तहत ७ नवंबर को आखिरी दौर का मतदान सम्पन्न होगी। बिहार के सभी राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी दावेदारी प्रस्तुत करने में लगी है की हम ही १० नवंबर को सरकार बनाएंगे। लेकिन यह एक यक्ष प्रश्न है की किस पार्टी का मुख्यमंत्री होगा। बात मुख्यमंत्री या किसी पार्टी के चुनाव जीतने की नहीं है बात है की बिहार कब और कैसे जीतेगा। आजकल जो राजनैतिक पार्टियां जिस तरीके से काम करती है मुझे व्यक्तिगत तौर पर उम्मीद कम ही है की बिहार जीत पायेगा। इस चुनावी परिचर्चा में एक बात तो इस बार सकारात्मक देखने को मिली के कम से कम सभी पार्टियां बिहारी को तवज्जो दे रही है ये अलग बात है की १० नवंबर के बाद भी ढाक के तीन पात वाली कहानी होने वाली है।

लेकिन यह सोचकर की कुछ नहीं बदलने वाला है वोट नहीं देना सही चुनाव नहीं होगा सही चुनाव तब होगा जब अपने वोट की ताकत से यह बताया जाय की लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है और वही रहेगा।  आप कितना भी ५ साल इतरां  ले लेकिन आपकी स्थिति की समीक्षा जनता के हाथ में ही है कल आप अर्श में थे आज फर्श पर हो सकते है।  कहते है जनता सब जानती है लेकिन मुझे लगता है जबतक जनता सवाल नहीं पूछेगी तबतक जनता सब कुछ नहीं जानती है कुछ ही बात जानती है और उसी के ऊपर अपने वोट को लेकर चुनाव करती है की किस पार्टी को देना है किस पार्टी को नहीं।  

चुनाव भविष्य को लेकर किया गया ऐसा फैसला होता है जिसमे आप अपने हाथो से अपना भविष्य किसी और अनजान व्यक्ति के हाथो में देते है तो चुनावी प्रक्रिया में मतदान सोच समझकर करना जरुरी है।  जो १८ साल का मतदाता है वह अपना  भविष्य अपने मत द्वारा फैसला करता है और जिसके बच्चे छोटे है वे अपने बच्चो के भविष्य के लिए मत द्वारा फैसला करता है तो मतदान हमेशा सोच समझकर उमीदवार को करना चाहिए ना की किसी पार्टी को, मेरा यह व्यक्तिगत विचार है हो सकता है पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओ के यह बात सही मालूम ना पड़ती हो। लेकिन  जब भी आप पार्टी आधारित उमीदवार को चुनते है तो वह आपकी मज़बूरी को समझता है और उसे लगता है इस बार यहाँ से जीत गए अगली बार कही और से चुनाव लड़ लेंगे क्या फर्क पड़ता है।  ऐसे उमीदवार को आपकी समसयाओ से कोई फर्क नहीं पड़ता है।  ऐसे लोगो का काम सिर्फ राजनीती को शक्ति और पैसे को सामंजस्य के रूप में तलाशने का एक जरिया भर है।  

तो चुनाव सोच समझकर करे ताकि आपका भविष्य में सुधार हो सके आप सवाल कर सके ताकि आपका विधायक आपके प्रति जिम्मेदारी महसूस कर सके। मतदान अवश्य करे अगर आपको कोई भी उमीदवार पसंद नहीं भी हो तो आज आपके हाथ में NOTA  का ऑप्शन चुनाव आयोग ने रखा है आप बताये इनमे से कोई भी उमीदवार आपकी कसौटी पर खड़ा नहीं उतरता है।  

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