एक ऐसा एपिसोड जो हर बच्चे, जवान और बूढ़े को देखना चाहिए कैसे सुरेंद्र शर्मा जी इतने लोकप्रिय और हाज़िरजवाब है और क्यों है। इस एपिसोड में आप कई गंभीर बातें सुनेंगे जिसमें मुख्यतः
१) बाल मजदूरी - इसपर आप उनके ऐसे विचार सुनेंगे जो शायद आपने कही और सुने होंगे।
२) शिक्षा - आज की शिक्षा और उनके समय की शिक्षा पर माता-पिता का हाथ और पढाई पर दवाब।
३) कवि और कविता - यह दोनों तभी संभव है जब आप सुनने की क्षमता रखते हो।
४) तब के बड़े बड़े कवि - उनके समय के कवि कितना लेते है कविता पाठ के और आज के जमाने के सबसे बड़ी कवि कौन है और आज कविता की स्थिति मंचों पर क्या है।
५) भाषाएँ और हिंदी दिवस - १४ सितम्बर को हिंदी दिवस की जगह भारतीय भाषा दिवस होना चाहिए था इससे किसी को भी अपनी भाषा के प्रति लगाव होता और वो उस दिन अपनी भाषा का दिवस मनाता।
६) इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, अटल बिहारी बाजपेयी - राजनेताओं के सामने उपहास और हास्य में अंतर समझना होगा तब के नेता हास्य को मनोरंजक मानते थे तभी उस समय किसी के सामने अपनी बात खुलकर कही जा सकती थी। आज लोग आलोचना को विरोध समझने लगे है तो कवि क्या कर सकता है।
७) हास्य कलाकार - हास्य कलाकारों की अपनी सीमा होती है लेकिन वे उस दिन भी अपने हास्य को रोक नहीं सकते है जब उनके अपने चले गए हो जैसे जिस दिन मुंबई में शरद जोशी की अध्यक्षता में इनका कार्यक्रम था उसी दिन शरद जोशी जी चल बसे लेकिन उसके बाद भी वह कार्यक्रम हुआ।
८) पत्रकार - पत्रकारिता और चापलूसी में अंतर होता है।
९) हास्य में गाली - ये फुहरता है और जिस भी विधा को आप कर रहे है उसको अगर एक ही परिवार की अलग अलग पीढ़ी एक साथ बैठकर नहीं सुन/देख पायी तो वह फुहरता में मानी जाएगी और हर कलाकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
ऐसे कई मुद्दों पर खुलकर बात रखी जो मुझे लगता है सामाजिक होने के नाते सुनना चाहिए।
धन्यवाद
शशि धर कुमार