Tuesday, 1 May 2018

समाज में होने वाले दुष्कृत्य का जिम्मेदार कौन?

बिहार में एक तेरह साल की बच्ची के साथ कुछ अल्पवयस्क लड़कों ने सड़क पर जो घिनौना दृश्य प्रस्तुत किया वह कही से भी एक सभ्य समाज के लिए सही नहीं कहा जा सकता है तो इसका क्या मतलब हम समाज को भेड़ियो का समाज या सांपो का समाज या जानवरों का समाज कहना शुरू कर दे। शायद नहीं क्योंकि अगर किसी समाज में एक मुठ्ठी भर ऐसे असामाजिक दुस्चरित्र वाले लोग रहते हो तो समाज को सोचना पड़ेगा। क्या ऐसी छेड़छाड़ की घटनाए सिर्फ लड़कियों के साथ होती है शायद नहीं क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार जितनी संख्या में लड़कियां ऐसी घटनाओ की शिकार होती है उससे कही ज्यादा अल्पवयस्क बच्चे ऐसी यौनउत्पीडन के शिकार होते है इसी वजह से सरकार ने POCSO Act 2012 में बदलाव किया है जिसमे यौन उत्पीड़न के मामलो में अब लड़कियों के साथ लडको को भी शामिल किया है।

इस विडियो में सारे लड़के जो इस घटना में शामिल है ऐसा लगता है सभी अल्पवयस्क है इसको शत प्रतिशत दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन कुछ तो है ही तो आप सोचिये की समाज में मानसिकता किस हद तक नीचे जा चुकी है। ऐसी घटना जो दिन दहाड़े एक रोड पर ऐसी घटना का होना यह दर्शाता है समाज की इस नैतिक ह्रास के कही ना कही हम भी जिम्मेदार है। हिम्मत देखिये एक अल्पव्यस्क मोबाइल से शूट कर रहा है, जो कि बाद में सोशल मीडिया पर डाल दिया गया। ऐसा लगता है घटना के वक्त कुछ लोग आसा पास में है लेकिन किसी ने भी उस लड़की को बचाने की कोई कोशिश नहीं की वह लड़की खुद ही लड़ती रही, लड़के हँसते रहे, और उसके कपड़े फाड़ते रहे। ये किस तरह की दरिंदगी है जहाँ हम उस लड़की को बचा नहीं पाते है जिसकी वजह से हम मर्दों का अस्तित्व है अगर हमारी बहन, माता बेटी ना हो तो हमारा कोई अस्तित्व नहीं है यह हम सबको समझना होगा।

मैं पहले भी कहता रहा हूँ अगर हम ऐसी घटनाओं को रोकने में असफल हो रहे है तो कही ना कही सामाजिक तौर पर ऐसे समाज के साथ साथ उसमें रहने वाले ऐसे लडको से ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं। आप ऐसी घटनाओं के लिए हमेश सरकार को नहीं जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते है क्योंकि इसमें पुलिस या प्रशासन तो तब हरकत में आएगी जब अपराध का संज्ञान उस तक पहुंचेगा, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी है की जब भी ऐसे केस उनके सामने आये वे पूरी संवेदनशीलता के साथ इसको अपने परिवार में हादसा समझकर इसको अंत तक ले जाए जिससे आगे ऐसा करने वाले के ऊपर पुलिस या प्रशासन का भय पैदा हो।

ऐसी घटनाओं का ऐसे समय पर होना जब माहौल इन मुद्दों को लेकर गर्म है और हर आदमी कठुआ, उन्नाव और ग़ाज़ियाबाद की बातें कर रहा है? क्या सच में अपराधियों का मन बढ़ गया है या फिर समाज उदासीन हो गया गया है? हालाँकि पुलिस ने एक्शन लेते हुए कुछ अपराधियों को गिरफ़्तार कर लिया है, लेकिन कठुआ के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री का यह बयान आना कि कठुआ जैसी घटना एक छोटी सी घटना है, जिसे तूल नहीं देना चाहिए। लेकिन कोई भी ऐसी घटना क्या इतनी छोटी होगी जब ऐसे ताकतवर नेताओ के परिवारों के साथ घटित होगी। चाहे घटनाएं किसी के साथ भी हो ऐसा घटनाएं समाज के माथे पर कलंक की तरह है जो किसी भी सभ्य व्यक्ति को नागवार गुजरेगी।

चाहे ऐसी घटनाएं किसी लड़की के साथ भी हो हम सबको आगे आकर हर ऐसी घटना की निंदा करनी होगी और अपने सामाजिक परिवेश में रह रहे अगली पीढ़ी को संवेदनशील बनाना पड़ेगा ताकि वे कीसी की भी बहन, बेटी और माँ की इज्जत करना सीखे ना की सिर्फ अपनी बहन, बेटी या माँ की। दिन दहाड़े सड़क पर एस घटनाओं के जिम्मेदार हम खुद ही है कही ना कही तो आइये हम सब मिलकर ऐसी किसी भी घटना की जिम्मेदारी लेकर समाज को उत्कृष्ट बनाने की कोशिश में अपना अपन योगदान दे ताकि हमारी आगे वाली पीढ़ी एक स्वस्थ, सुन्दर और सुरक्षित समाज में सांस ले सके।

#JusiceForAll #JusiceForAllGirl #BoycottRapist

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