कैथी एक लिपि है जिसको मगही, भोजपुरी और मैथिलि में भी लिखी जा सकती है। कैथी एक ऐसी लिपि है जो चन्द्रगुप्त काल से लेकर अंग्रेज के जमाने तक एक लोकप्रिय लिपि रही। समय के साथ इसको अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओ में लिखने के नए तरीके ईजाद किये गए। चूँकि इसकी लोकप्रियता बिहार में सबसे ज्यादा रही तो बिहार के क्षेत्रीय भाषाओ में अलग-अलग भाषाओ के विद्वान् साहित्यकारों ने इसको अपने-अपने तौर पर लिखा और बताया भी। लेकिन बिहार के भाषा के सन्दर्भ में जो एक किताब काफी महत्वपूर्ण हो जाती है वह है ग्रीयरसन की किताब जिसमें बिहार के सभी भाषाओ और लिपियों को उसमे वैज्ञानिक तरीके से समझाने का प्रयास किया गया और मेरे पास जो जानकारी है उसके हिसाब से इस किताब को सबसे ज्यादा प्रमाणिक भी माना गया है। आज भी कई विद्वान जब किसी भी भाषा की बात करते है उनके किताब की चर्चा जरूर होती है चाहे भारत के किसी भी क्षेत्र की कोई भी लिपि हो या बोली हो या भाषा हो।
जैसा कि मैंने कहा कि कैथी को आप किसी भी क्षेत्रीय भाषा में लिख सकते है। क्योंकि एक समय यह बिहार की प्रशासनिक भाषा हुआ करती थे तो स्वाभाविक है यह पुरे बिहार में अलग क्षेत्र में अलग अलग भाषाओ में स्थानीय तौर पर कैसे लिखा जा सकता है उसके तरीके इजाद किये गए। और इसका काफी उपयोग हुआ भी जिसकी वजह से कई ऐसे साहित्य आज भी बिहार के संग्रहालयों में इसी कैथी लिपि में लिपिबद्ध मिल जाएगी। सवाल उठता है की इतनी समृद्ध लिपि जो पुरे बिहार में अलग-अलग क्षेत्रीय भाषाओ में लिखी जाने वाली लिपि अचानक से १०० साल में ही लगभग लुप्तप्राय सी क्यों हो गयी।
अगर आप इसको समझने का प्रयास करेंगे तो आपको खुद बखुद समझ आ जायेगा। कैथी लिपि इतनी लोकप्रिय थी जैसे यह जनमानस की लिपि बन गयी थी लेकिन अंग्रेजो ने इसे क्रमबद्ध रूप से इसको समाप्त करने का प्रयास किया। कहते है ना कि अगर किसी भी जगह पर ज्यादा समय राज करना हो तो उस राज्य की संस्कृति और भाषा पर प्रहार करो और यही अंग्रेजो ने भी किया। पहले यहाँ के लोगो को अंग्रेजी सीखने के लिए आग्रह किया ताकि उनका कार्य आसान से हो सके। क्योंकि मानसिक रूप से गुलाम व्यक्ति अपने मालिक की हार बात को बिना तर्कपूर्ण तरीके से परखे मान लेता है। दूसरी बात बिहार के सबसे लोकप्रिय लिपि को अपने अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोगो द्वारा यह भ्रम फैलाकार इसकी पहुँच को सीमित करने का प्रयास किया गया यह कहकर कि अंग्रेजी से बेहतर कुछ भी नहीं तो लोगों ने तेजी से अंग्रेजी भाषा को अपनाया और कैथी लिपि को हाशिये पर लाने में जाने-अनजाने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर दी। ऐसी ही दुःखद स्थिति कई और भारतीय भाषाओ के साथ हुआ। जिसकी वजह से कई भारतीय भाषाओं का कंप्यूटर के आने के बाद उसके ध्वन्यात्मक विधि को सही प्रकार से विकसित नहीं की जा सकी और वह भाषा आज भी दम तोड़ती हुई दिख रही है।
इसीलिए जब आज हमारे बच्चे अन्य वैश्विक भाषाएँ जैसे अंग्रेजी , स्पेनिश , फ्रेंच आदि सीख रहे है तो उन्हें अपनी पुराणी भाषाओं और लिपियों के बारे में भी बताये और उन्हें इनके साथ जोड़ने के प्रयास करे।
धन्यवाद!
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