Tuesday, 20 August 2024
तीन ताल और पुष्पेश पंत
यह वीडियो आजतक के रेडियो पॉडकास्ट "तीन ताल" कार्यक्रम के तहत यूट्यूब पर प्रकाशित हुआ है। मुझे व्यक्तिगत तौर पर पुष्पेश जी को सुनना बहुत पसंद है इसीलिए नहीं की वे खाने पर बहुत अच्छी बातें बताते है बल्कि इसीलिए भी की वे खाने को इतिहास और विश्व के अलग अलग देशो के उनके रिश्तों के तौर पर कैसे देखते है तो मुझे जैसों को भी अंतराष्ट्रीय रिश्ते की बात आसानी से समझ आ जाती है। एक International Relation पढ़ाने वाला व्यक्ति खाने की बारे में इतनी सारी जानकारी और इतने प्यार से परोस रहा हो तो कौन इसे सुनना पसंद नहीं करेगा। पुष्पेश जी के साथ कई एपिसोड अलग अलग जगहों पर सुने है हमेशा ही लंबा होता है अगर आपके पास धैर्य हो तो अवश्य सूना जा सकता है क्योंकि इतने हल्के अंदाज़ में खाने की बारीकियां आप उनसे बेहतर जगह से नहीं सुन सकते है, इसी तरह का एक एपिसोड मैंने लल्लनटॉप पर भी देखा था। आप इस एपिसोड में निम्न बातों से रूबरू होंगे:
- बुरांश की वाइन वाइन नहीं है
- मछली पर बात करना राजनेताओं के लिए क्यों आसान है
- मछली एक जल का फल है
- पानी की किल्लत के लिए मटकाफोड़ने की परम्परा ही क्यों
- भोजन और औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का रिश्ता क्या है
- भोजन के साथ इतिहास का क्या ताल्लुक है
- मुगलिया खाने का फर्जीवाड़ा और इसका इतिहास
- करी तथा कढ़ी का फ़र्क़ और इसके नाम के पीछे की बात
- गर्मी से राहत पाने के देशी पेय पदार्थ
- चटनी, राहत जान, शरबत-ए-शिकंजवी
- छौंक, तड़का और बघार का रहस्य इसके मायने
- मसालों को इस्तेमाल करने की अदब
- पहाड़ का बेड़ा गर्क करने वाले तीन लोग
- नाश्ता हम करते नहीं थे तो यह आया कहाँ से
- बिरयानी का पुलाव के साथ मुक़ाबला
- भाषा की जगह स्वाद और भोजन में मुख्यतः क्या लेते है उसके आधार पर राज्यों के बटवारें होने चाहिए
- हर 10 किलोमीटर पर समोसे का स्वाद बदल जाता है
- लोगों में समोसे खाने की तमीज नहीं रही
- पान खाने के रिवाज और सांस्कृतिक पहलू
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