Saturday, 22 June 2019

मुज़फ़्फ़रपुर एक घटना या सरकारी उदासीनता

बड़े दुःख की बात है हम 21वी सदी में है और चांद पर पैर रखने वाले है। लेकिन जो भविष्य है, आज भी बेमौत मर रहे है किस वजह से वह भी एक मामूली सा बुखार से जिसकी रोकथाम में अहम योगदान जागरूकता का भी हो सकता है। हर वर्ष जब एक ही समय में सालों से यह दस्तक दे और सरकारों को यह भी पता हो कि इसकी जागरूकता से इसपर काबू किया जा सकता है फिर सरकारे ऐसा लगता है सोई रहती है इस तरह के किसी बड़ी घटना के घटने के इंतजार में।

हम सभी को पता है कि कुपोषित और कमज़ोर शरीर में बीमारियों का आक्रमण आसानी से होता है। दो भोजन के बीच 4 घंटे से अधिक के गैप से कमज़ोर शरीर और अधिक कमज़ोर हो जाता है। ऐसे में इस तरह के बुखार आने की सम्भावना बढ़ जाती है। "इसके आक्रमण से 4-6 घंटे में सर में एक द्रव्य जमा होने लगता है जिससे मस्तिष्क पर प्रेशर बढ़ता है और वहाँ से होने वाला सारे शरीर का कंट्रोल बंद होने लगता है।" यह किसी रिपोर्ट में पढ़ा था।

शरीर में बुखार से पहले सोडियम कम होता है। नमक में सोडीयम है और चीनी में शुगर जो घरेलू ओआरएस का घोल है जो वास्तव में यही घरेलू और प्राथमिक उपचार है। ऐसे में यदि किसी भी बुखार पीड़ित को प्रारम्भिक उपचार मिले तो वो या तो ठीक हो जाएगा या फिर अस्पताल ले जाने तक वह जीवन से लड़ता हुआ पायेगा।

यह समस्या क्या और कितनी बड़ी है, हम इसमें कितना योगदान दे सकते हैं यह सोचने के साथ साथ सहायता करने की भी जरूरत है। सवाल उठता है की हमें करना क्या चाहिए? सबसे पहले तो अभी चल रहे सारे प्रयास जारी रहना चाहिए चाहे वो सरकारी हो गैर सरकारी हो। हमें यह मानकर चलना चाहिए की हर घर सेवा पहुँचाना सम्भव नहीं है लेकिन सरकारी मदद की दरकार अवश्य है जिसके बिना यह संभव नही। ऐसे मामलों में जागरूकता बढ़ा रही संस्थाएँ सबसे अधिक कारगर होंगी जो ऐसे मामलों में सबसे बड़ी वजह भी होती है तो हमे लोगों में बीमारी और उससे बचने की सूचना पहुँचा कर जागरूकता बढ़ाना चाहिए। हम लोगों को बताएँ की नमक और चीनी नामक रामबाण इलाज उनके घर में ही है। वो बच्चों के खाने के बीच अधिक समय का गैप न दें। खुली और साफ़ हवा देकर या गिली पट्टी कर बुखार को बढ़ने से रोके। साफ़ सफ़ाई का ध्यान रखते हुए मरीज़ को जल्द से जल्द अस्पताल ले जाएँ। जगह जगह पर्चे बाँट कर या लगाकर भी ऐसा कर सकते है। छोटे माइक लेकर लोगों को जमा कर उन्हें रिकॉर्डिंग सुना सकते हैं या नुक्कड़ सभा कर जागरूकता फैला सकते हैं।

ऐसे में यह भी ध्यान रहे की हम कोई ग़लत सूचना न फैलाएँ। UNICEF की टीम वहाँ काम कर रही है और वे लोग 2012 से ही इस पर काम भी कर रहे हैं। तकनीकी बातें वे बेहतर समझते है।

शुरुआती दौर में सोने के बाद प्रशासन अब क्रियाशील हुए है इसकी कई वजहें हैं जैसे सवयंसेवी संस्थाओं, सरकार और मीडिया का दबाव। प्रशासन को सहयोग करना सभी स्वयंसेवी संस्थाओं का काम है और वो कर भी रहे हैं।

हमें हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए की सीमित संसाधनों के रहते अचानक से आये महामारी को सम्भालना आसान नहीं। याद करिये जब अचानक से दिल्ली में डेंगू और चिकुनगुनिया के मामले बढ़ने लगते है तब यही विश्वस्तरीय दिल्ली उसको संभालने में नाकाम दिखने लगती है। सरकारों द्वारा संसाधन को जनसंख्या के अनुपात में नही बढ़ाने और कारगर तरीके से काम नही करने का दोषी अवश्य ठहराए जाने चाहिए। ये ग़लत समय और मौका होगा की डॉक्टर या अस्पताल पर सवाल उठाने का, क्योंकि उन्हें जो मिलता है उसी संसाधनों में काम करने होते है यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि एक ही समय हर वर्ष एक तरीके से आपदा एक ही क्षेत्र के आस पास दस्तक दे तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती है कि इसके बारे में जनता के बीच जागरूकता फैलाये और अस्पताल में उसी तरीके से तैयारी किये जाय। मेरी समझ से डॉक्टरों को दोषी ठहराने से हम उनकी कार्यक्षमता को और कम करेंगे। हमें उन पत्रकारों की भी भर्त्सना करनी चाहिए जो बिना ICU में जाने की तैयारी किये बिना माइक लेकर डॉक्टरों से सवाल करते है। उन्हें डॉक्टरों से सवाल के विपरीत अस्पताल प्रशासन या सरकारी तंत्र से ये बाते पूछनी चाहिए। इसको पत्रकारिता तो नही ही कहेंगे यह कुछ लोगो के लिए साहसिक काम लग सकता है लेकिन यह उससे बड़ा मूर्खतापूर्ण कार्य भी है।

हम सरकारों से सवाल तभी पूछते है जब ऐसी घटनाएं होती है। चाहे मुजफ्फपुर में AES (Acute Encephalitis Syndrome) से हो रही मौते हो या गोरखपुर में हो रही मौते हो या दिल्ली जैसे शहर में डेंगू या चिकुनगुनिया से हो रही मौते हो। हम कुछ दिनों बाद सब कुछ भुल जाते है तो सरकारे भी भूल जाती है। जबकि यह सारे मुद्दे तबतक जीवित रहने चाहिए जबतक इसका पूर्णरूपेण समाधान ना हो जाये। यह सारे मुद्दे कही ना कही स्वास्थ्य, पर्यावरण और कुपोषण से जुड़े मुद्दे है जो हमारे चुनावो में ये मुद्दे नही होते है। अब समय आ गया है कि ऐसे मुद्दे उठाए जाएं और बार बार उठाये जाय।

Thursday, 13 June 2019

Multi Level Marketing

Is Multi Level Marketing (MLM) for You?

Who doesn't care for the idea of having a couple of additional bucks available? The majority of us attempt to consider elective techniques other than our employments and calling to gain some additional cash so as to have the option to understand our since quite a while ago esteemed objectives and wishes. This happens to the vast majority of us. While some who have an eye for numbers will in general float towards financial exchanges, many consider taking up a moment occupation and work increasingly number of hours. At that point there are the individuals who take up MLM movement and focus on structure a system dependent on their family, companions, contacts, partners and others.

Despite the fact that there are a few alternatives that one can consider as extra or substitute work, it is imperative to give every one of the business thoughts an intensive idea to check whether it suits you in all regards and in the event that you will most likely be fruitful in the equivalent. After all everyone won't be fit to a wide range of business or deals and bad habit e-versa.

Almost certainly, you will be welcome to a gathering or one of your companions or colleagues will drop in with an arrangement to meet you and discussion about the MLM opportunity.

A glance at the promoting plan, selling ideas and the salary creating plan will leave you overpowered with such a large number of inquiries. You will normally think about whether MLM truly works and if there is such an extensive amount cash to be made as appeared in the arrangement. You will ponder about the item and develop such a large number of inquiries in your psyche. You will likewise think about whether you can truly make this work and last yet not the least you will ponder with respect to what your companions and partners will consider you. Now you are probably going to be under slight strain to join as a merchant as your support would catch up with you. You are presently required to take a choice. Be that as it may, at that point how would you approach deciding regarding whether you need to begin with MLM or not?

On the off chance that the above sounds commonplace, there is no compelling reason to freeze. Continuously recall that the chance to join the MLM system will dependably be accessible and there is no requirement for you to seize it before being readied and prepared for it. In the event that you do happen to take it up and find that you aren't prepared to take it ahead, no issues. You won't lose anything in light of the fact that the business opportunity doesn't cost you any venture.

The main purpose of thought of joining a MLM system must be YOU. You should plunk down and thoroughly consider the whole proposition to perceive how you are most appropriate to take this up. Does it oblige your long haul targets that you have for yourself? Do you have that sort of time and vitality to concentrate on enlisting and building distributer arranges reliably over some stretch of time? Is it true that you will make penance of your time with your family, social exercises just as your own opportunity to put into this business? Shouldn't something be said about selling aptitudes? Do you have great relational abilities and do you like moving toward known and obscure individuals and discussing MLM business coordinate with them? Every one of these inquiries would need to be replied by only you.

As the colloquialism goes, No Pain No Gain. Along these lines MLM can be an extraordinary open door for you to fabricate another pay age stream gave you have the vitality, center, range of abilities and frame of mind to deal with this idea for a significant lot. It calls for adjusting your life, your needs and duties alongside taking up and start another and extra vocation with MLM selling.

Inspirational Challenges

Inspiration is by all accounts a straightforward capacity of the executives in books, yet practically speaking it is all the more testing.

The reasons for motivation being challenging job are as follows:
One of the principle reasons of inspiration being a difficult activity is because of the evolving workforce. The representatives become a piece of their association with different needs and desires. Various workers have various convictions, demeanor's, qualities, foundations and thinking. Be that as it may, every one of the associations don't know about the decent variety in their workforce and in this way don't know and clear about various methods for rousing their differing workforce.

Workers intentions can't be seen, they must be assumed. Assume, there are two representatives in a group demonstrating differing execution notwithstanding being of same age gathering, having same instructive capabilities and same work involvement. The reason being what rouses one representative may not appear to be inspiring to other.

Inspiration of representatives ends up testing particularly when the associations have impressively changed the activity job of the workers, or have reduced the progressive system dimensions of chain of command, or have tossed out countless representatives for the sake of down-measuring or right-estimating. Certain organizations have employed and fire and paying for execution techniques almost surrendering persuasive endeavors. These methodologies are ineffective in causing a person to overextend himself.

The vivacious idea of necessities likewise posture challenge to an administrator in persuading his subordinates. This is on the grounds that a worker at one point of time has various needs and desires. Likewise, these necessities and desires continue changing and may likewise conflict with one another. For example the representatives who invest additional energy at work for gathering their requirements for achievement may find that the additional time gone through by them conflict with their social needs and with the requirement for connection.

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