Wednesday, 22 August 2018

बिहिया कांड और हमारी मानसिकता

बिहिया कांड और हमारी मानसिकताबिहार के बिहिया में हुई घटना पुरे समाज को शर्मसार करने वाली है लेकिन शायद हमें कोई फर्क पड़ता हो क्योंकि वहां ना तो हमारा कोई रिश्तेदार है ना ही यह घटना हमारे किसी जानने वाले के साथ हुई है तो बेकार में अपना खून क्यों जलाना। कब हम ऐसी घटनाओं पर कुछ नहीं कर सकते है तो कम से कम अपनी प्रतिक्रिया तो देना शुरू करे। क्या ऐसी घटनाओं का भी किसी राजनैतिक पार्टियों से लेना देना होता है या किसी एक पर इसका ठीकरा फोड़कर आगे बढ़ा जा सकता है शायद नहीं। चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो या किसी भी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले नेता हो हम आम आदमीं है इसके बारे में बिना किसी पार्टी से पक्षपात किये हम ऐसी घटनाओं की भर्त्सना कर सकते है।

बिहार एक ऐसी धरती है जहाँ ऐसी घटनाओं के लिए नैतिक तौर पर कोई जगह नहीं है चाहे वह इतिहास में से किसी का भी शासनकाल रहा हो। यही वह धरती है जहाँ बुध्ध और महावीर तक ने दो नए शान्ति धर्मो को विश्व के सामने लाया। यही वह धरती है जहाँ की नालंदा या विक्रमशिला विश्वविद्यालय मशहूर हुई। यह वही धरती है जहाँ जय प्रकाश नारायण से लेकर कर्पूरी ठाकुर जैसे इमानदार राजनेता पैदा हुए। आचार्य विष्णुगुप्त हो या अशोक या शेरशाह सूरी सबकी कर्मभूमि यही रही है फिर ऐसा क्या है जो आज हम इतने कमजोर है की हम एक आवाज तक नहीं उठा सकते है।

यह सिर्फ शर्मिंदा करने या होने वाली घटना नहीं है जिसके ऊपर दो शब्द या दो मिनट का मौन धारण कर चिंता जता दी जाय। यह एक ऐसी शर्मनाक घटना है जिसके हम या हम जिस समाज में रहते है वह जरुर जिम्मेदार है। क्योंकि भीड़ के मार डालने वाली घटना तो बहुत सुनी होगी लेकिन बिहिया में हुई घटना में उन दो चार दस लडको के पीछे चलने वाले क्या भीड़ नहीं थे या ये भीड़ सिर्फ दिखावे के लिए था और यह भीड़, भीड़ नहीं बल्कि यह एक हिजड़ो की फ़ौज थी। लेकिन शायद अगर यही घटना हिजड़ो की बस्ती में हुआ होता तो शायद ही कोई भीड़ ऐसा करने की हिमाकत कर पाता। जिन लडको ने इस घटना को अंजाम दिया है वह किसी ना किसी का भाई, बेटा या पिता अवश्य होगा। क्या ऐसे लोग घर जाकर अपने परिवार में घर की औरतो से आँख में आँख मिलाकर बात कर पाते होंगे। ऐसे लोग हमारे समाज का ही एक हिस्सा है। यह एक ऐसी मानसिकता है जिसमे हर कोई अपने परिवार की औरतो को छोड़कर सभी औरतो को निवस्त्र देखना चाहता होगा तभी यह भीड़ उस घटना के पीछे पीछे चल पड़ी। इसी भीड़ में से कुछ लोग मोबाइल से विडियो बनाकर वायरल करते है और हमारा समाज मूकदर्शक बना रहता है।

यह कैसे मानसिकता है जो हमें मजबूर कर रही है ऐसी घटनाओं की अनकही गवाह बनने का लेकिन हम ना तो कुछ बोलते है ना ही करते है ना ही हम सरकार से सवाल करते है। क्यों राजनीती के चक्कर में हम समाज में हों रही कृत्यों को भी राजनीती के चश्मे से देखना बंद नहीं कर पाते है। क्या समाज में किसी बेटी की इज्जत में भी यह पार्टी या वह पार्टी या यह समुदाय या वह समुदाय की हो सकती है? एक लड़की को लड़की की नजर से देखने की आवश्यकता है वह हममे से किसी एक की बेटी है की नजर से देखने की आवश्यकता है। जो लोग ऐसी घटनाओ को इधर या उधर की नजर से देखते है वे कभी भी किसी एक घटना के बारे में सर्वसम्मत नहीं हो सकते है ना ही वे किसी एक घटना के प्रति निष्ठावान ह सकते है, ना ही इनका कोई ठोस राय होता है किसी एक मुद्दे के प्रति।

हमें हर ऐसी घटना चाहे वह मुजफ्फरपुर हो या दरभंगा या बिहिया जैसे घटना हो। हर घटना की आम आदमी के तौर पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते है हम सबको एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। अगर आपके भी दिल में दुःख होता है ऐसी घटनाओं से जागिये और बोलिए इससे पहले की देर हो जाय। जहाँ भी जैसे है अपनी तरफ से बोलिए लोगो को जागरूक कीजिये समाज के प्रति हमारी अपनी भी एक जिम्मेदारी बनती है। यह मत भूलिए की जो भी ऐसा करता है हम भी उसी समाज का एक हिस्सा है।

धन्यवाद

Saturday, 18 August 2018

अटल बिहारी वाजपेयी को अश्रुपूरित श्रधांजली

भारत रत्न माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी जिन्होंने १६ अगस्त २०१८ को अपनी अंतिम सांस ली। जो एक प्रखर वक्ता, एक कवि, एक सुलझे हुए व्यक्ति, संवेदनशीलता का जीता जागता समुन्द्र जो हर दिल अजीज थे। आज यानी १७ अगस्त २०१८ को पंचतत्व में विलीन हो गए। पंचतत्व में विलीन तो उनका दैहिक शरीर हुआ है लेकिन उनकी वाणी, उनकी पंक्तिया, उनका जीवन सन्देश हम सबके बीच है और हमेशा रहेंगी। ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ जितनी जीवंत लगती है उतनी ही जिंदगी से जुड़ी हुई भी लगती है। इसी का जीता जागता उदहारण है कविता "गीत नया गाता हूं" जिसकी पंक्तियाँ "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं" जन जन को याद है।

उनके प्रखर वक्ता होने के कई प्रमाण है जो उन्हें ऐसा साबित करते है जैसे संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर पुरे विश्व में अपना लोहा मनवाया हो या संसद में विश्वास मत के दौरान जवाब देते हुए यह कहना की "सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगा-बिगड़ेंगी पर यह देश रहना चाहिए...इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए....", यह साबित करता है उनकी देश के प्रति प्यार को। जो भी उनको करीब से जानते है सबका कहना है उनके लिए सर्वप्रथम देश है उसके बाद कुछ और चाहे वह अपनी पार्टी की सरकार हो या पार्टी। १० बार लोकसभा के सांसद और 2 बार राज्यसभा के सांसद उनकी जनता के बीच लोकप्रियता को दर्शाता है। उसके बाद भी उनके पास कोई अकूत संपत्ति नहीं है उनकी सार्वजानिक जीवन में इमानदारी को दर्शाता है। हमारे समय के बच्चे जिन्होंने गलियों में लाउडस्पीकर पर सांसद और विधायक के चुनाव का प्रचार देखा है जहाँ नेताओ को नेता मतलब बईमान कहकर पुकारा जाता था और अटल जी का नाम आते ही कीचड़ में कमल को खिलने वाला बताकर उनकी सत्यनिष्ठा और इमानदारी की दुहाई दी जाती रही है। तो उनकी शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही कारण है की १७ अगस्त २०१८ को उनकी आखिरी यात्रा में शामिल लोगो के हुजूम से साबित होता है इतनी लोकप्रियता इनसे पहले अगर किसी नेता के लिए दिल्ली की सड़को पर देखा गया तो वे राजीव गाँधी जी थे।

आज उनको अंतिम श्रधांजलि के फुल अर्पित करते विपक्षी दलो के नेताओ को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल था की ये वही अटल जी जो भाजपा से प्रधानमन्त्री चुने गए थे। जिससे उनकी सार्वभौमिकता सभी राजनैतिक दलों में साबित करता है। शायद उनकी सभी पार्टियों में लोकप्रियता का इस वजह से भी थी क्योंकि वे बड़ी से बड़ी बात बड़ी आसानी से चुटकियों में हास्य स्वरुप में कह डालते थे। अगर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखना हो तो कारगिल युद्ध के समय उनकी एक प्रेस वार्ता को देखकर उनके भावो को पढ़ा जा सकता है। एक य्युग पुरुष को कैसे कुछ शब्दों में बांधा जा सकता है वे अटल है अमर है अजर है। उनकी वाकपटुता को उनके ही एक वक्तव्य से जाना जा सकता है की "मैं पत्रकार होना चाहता था, बन गया प्रधानमंत्री, आजकल पत्रकार मेरी हालत खराब कर रहे हैं, मैं बुरा नहीं मानता हूं, क्योंकि मैं पहले यह कर चुका हूं..."। वो भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हुए जिन्होंने ५ वर्ष कर कार्यकाल पूरा किया और देश को कांग्रेस के आगे भी भारत का भविष्य देखने का सपना दिखाया। एक शिखर राजनैतिक पुरुष जिन्होंने भारत को विश्व पटल पर लाने में प्रमुखता से भूमिका निभाई उनकी दरियादिली इस बात से साबित होती है की लाहौर बस यात्रा के बाद कारगिल युद्ध में मुशर्रफ का हाथ होने के बाद भी उन्होंने मुशर्रफ से आगरा में शिखर वार्ता किया वे सिर्फ दरियादिल ही नहीं थे। वे मजबूत इच्छाशक्ति के साथ साथ मजबूत शख्सियत के भी धनी व्यक्ति थे क्योंकि उनके द्वारा 13 महीने की सरकार रहते १९९८ में पोखरण में परमाणु परिक्षण कर अपनी दृढ इच्छाशक्ति दिखाई।

एक ऐसी शख्सियत जो एक ओजस्वी कवि, एक संवेदनशील व्यक्ति तथा एक वक्ता जो अपनी वाणी से किसी का भी दिल जीत लेने की क्षमता रखता हो, उनकी जिंदगी अपने आप में एक ग्रंथ है आप चाहे तो उनकी जिंदगी का कोई भी हिस्सा एक अध्याय समझ कर पढ़ लीजिये आपको कुछ ना कुछ अवश्य मिलेगा सिखने को।

श्रधांजली देने की एक छोटी सी कोशिश ऐसे शख्स को जो खुद कलम का सिपाही हो और वाकपटुता में माहिर हो।

अगर कुछ गलती हुई हो तो माफ़ी चाहता हूँ।
धन्यवाद।।।

Wednesday, 15 August 2018

हम कितने स्वतंत्र है?

Independence Day
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को बधाई।

आज स्वतंत्रता दिवस है सोचनीय है किस हद तक हम आजाद है।
हमारे ख्याल कितने आजाद है?
हम आर्थिक रूप से कितने आजाद है?
हमारी सीमाएं कितनी आजाद है?
हम भीड़ तंत्र से कितने आजाद है?
हम महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर कितने आजाद है?
हम दहेज उत्पीड़न से कितने आजाद है?

  1. महिलाओं के यौन उत्पीड़न से आज़ादी कब?
  2. गरीबी से आजादी कितनी?
  3. अशिक्षा से आजादी कब?
  4. भूखमरी से आजादी कब?
  5. अंधकार से आजादी कब?
  6. भ्रष्टाचार से आजादी कब?
  7. अंध विश्वास से आजादी कब?
  8. जातिवादी सोच से आजादी कब? 
  9. प्रदुषण से आजादी कब?
  10. ऐसे कई सवाल है जो मन में लेकिन हम कब अपनी हीनभावना की सोच से आजाद होंगे?

सोचना आपको है या आप तो सिर्फ वही सोचिये जो आपको सोचने को मजबूर किया जा रहा है चाहे राजनैतिक पार्टियाँ हो या एक समुदाय विशेष या एक वर्ग विशेष बुद्धिजीवी इत्यादि। हम यह नही कहते उपरोक्त बातें कुछ दिन या कुछ सालों में बदल जायेगा इसके लिए सालों लगेंगे जिसके लिए हमे सतत ईमानदार प्रयास करते रहने होंगे।

सोचना आपको है अगर आप नही सोच सकते तो आप राष्ट्रीय मिठाई जलेबी का लुत्फ लीजिए तथा एक सिनेमा देखते हुए अपनी छुट्टी का आनंद लीजिए।

एक बार फिर से पूरे देशवाशियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


Monday, 6 August 2018

How to group Security Headers for web application using htaccess?

Group Security Headers htaccess

X-XSS-Protection sets the configuration for the cross-site scripting filters built into most browsers. The best configuration is “X-XSS-Protection: 1; mode=block”.
X-Frame-Options tells the browser whether you want to allow your site to be framed or not. By preventing a browser from framing your site you can defend against attacks like clickjacking.
X-Content-Type-Options stops a browser from trying to MIME-sniff the content type and forces it to stick with the declared content-type. The only valid value for this header is “X-Content-Type-Options: nosniff”.
Content Security Policy is an effective measure to protect your site from XSS attacks. By whitelisting sources of approved content, you can prevent the browser from loading malicious assets. Analyse this policy in more detail.
Referrer Policy is a new header that allows a site to control how much information the browser includes with navigations away from a document and should be set by all sites.
Feature Policy is a new header that allows a site to control which features and APIs can be used in the browser.
Strict-Transport-Security HTTP is an excellent feature to support on your site and strengthens your implementation of TLS by getting the User Agent to enforce the use of HTTPS.
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