कांग्रेस की सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ गया था। अपने काम के लिए किसी भी दफ़्तर में गए तो बिना पैसा दिए जनता का काम ही नहीं हो रहा था। बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण महंगाई भी बढ़ गई थी। देश की जनता भ्रष्टाचार से त्रस्त हो गई थी। भ्रष्टाचार को रोके बिना देश की प्रगति को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि भ्रष्टाचार ही है जो विकास की गति को आगे बढ़ने से रोकती है।
देश के बढते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है। यह जनता की मन से इच्छा है क्योंकि जनता ही है जो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार से ग्रषित है। 2011 में अन्ना का आंदोलन सिर्फ अन्ना और सरकार के बीच आंदोलन नहीं रह गया था। इसके लिए पूरे देश की जनता खड़ी हो गई थी। खास तौर पर युवाओ के योगदान की सराहना करनी होगी। जो बड़े पैमाने पर रास्ते पर उतर आई थी। देश के हर राज्य में, हर जिले यहाँ तक की गांव स्तर पर यह आंदोलन का रूप लेना, जनता का गुस्सा दर्शाता है भ्रष्टाचार के खिलाफ। आजादी के बाद पहली बार देश में इतना बड़ा आंदोलन जनता ने किया था। और ऐसा पहली बार हुआ जो इतना बड़ा आंदोलन बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ, ये जनता की सहिष्णुता दर्शाता है। आजकल कोई एक राजनितिक पार्टी बता दे जिसके आंदोलन में हिंसा ना हो।
बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण देश की जनता कांग्रेस सरकार से नाराज हो गई थी। ऐसी स्थिति में जब देश में 2014 में लोकसभा का चुनाव आया और बीजेपी ने जनता को आश्वासन दिया कि, हमारी पार्टी सत्ता में आती है तो हम भ्रष्टाचार के विरोध की लड़ाई को प्राथमिकता देंगे। जनता ने बीजेपी पर विश्वास किया, और जनता ने बीजेपी की सरकार बनवाई। लेकिन आज भी कहीं पर भी बिना पैसा दिए जनता का काम नहीं होता है। न ही महंगाई कम हुई है। कांग्रेस सरकार और बीजेपी की सरकार में विशेष तौर पर भ्रष्टाचार के बारे में कोई फर्क दिखाई नहीं देता है। लोकसभा का पूरा का पूरा सत्र झगड़े में जा रहा है। जनता का करोडों रुपया बर्बाद हो रहा है।
बीजेपी ने जनता को यह भी आश्वासन दिया था कि, हमारे देश का काला धन जो विदेशों में छुपा है, उसको हमारी पार्टी के सत्ता में आने पर 100 दिन के अंदर देश में वापस लाएंगे और हर व्यक्ति के बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपया जमा करेंगे। उस से देश का भ्रष्टाचार कम होगा। लेकिन आज तक किसी व्यक्ती के बैंक अकाउंट में 15 लाख तो क्या 15 पैसे भी जमा नहीं हुए है।
बीजेपी की सरकार को सत्ता में आ कर डेढ साल से ज़्यादा समय हो चुका है। लेकिन भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जो लोकपाल और लोकायुक्त कानून बना है, उस पर न तो सरकार कुछ बोलती हैं और न ही उस पर अमल करती हैं। हम उम्मीद लगाए हुए है कि कभी मन की बात में लोकपाल और लोकायुक्त के विषय पर प्रधानमंत्री जी कुछ ना कुछ बोलेंगे। क्यों कि भ्रष्टाचार के विरोध की लडाई को प्राथमिकता देने की बात देश की जनता से बीजेपी ने ही कही थी।
हो सकता है, उन बातों का शायद आपको विस्मरण हो गया हो, इसलिए आपको फिर से याद दिलाना आवश्यक है की हमने करोड़ों की संख्या में लोकपाल और लोकायुक्त के लिए देश में आंदोलन किया था। आश्वासन दे कर उस पर अमल नहीं करना यह, उन देशवासियों का अपमान है।
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए और भी कई आश्वासन दिए थे। लेकिन उनकी पूर्ति नहीं हुई है। कृषि-प्रधान देश के किसानों को बीजेपी ने आश्वासन दिया था कि, किसान खेती में पैदावारी के लिए जो खर्चा करता है, उसका डेढ़ गुना मूल्य किसानों को अपनी खेती की पैदावारी से मिलेगा। लेकिन आज भी खेती माल को सही दाम ना मिलने के कारण देश का किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। देश की जनता की भलाई के लिए और देश के उज्जवल भविष्य, देश के विकास के लिए किसानो के हितो की रक्षा करना आवश्यक हो गया है।
सरकार में आते ही कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे जैसे अरुण जेटली जी पर डीडीसीए में हेर फेर का आरोप, राजस्थान की मुख्यमंत्री पर ललित मोदी से सांठ गाँठ का आरोप, सुषमा स्वराज पर ललित मोदी का सहायता करने का आरोप और भी कई मंत्रियों पर छोटे मोठे आरोपो का लगना।
दिल्ली की मुख्यमंत्री की बात करे तो उनके कई मंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनमे से कई तो आज कल जेल में है।अरविंद केजरीवाल के ही शब्दों में राजनीती एक कीचड़ है जिसमे जाने के बाद कोई भी साफ़ नहीं रह सकता है। और भी कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों पर।
बिहार के मुख्यमंत्री की बात करते है उनके ऊपर भी भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर सरकार बनाने का आरोप लगा, कुछ हद तक ये सही भी है। क्योंकि जिन्होंने 90 का दशक जिया है बिहार में वे वाकिफ़ है इस बात से की किस कदर भ्रष्टाचार चरम पर था, बिहार में।
अगर हम सारे मुख्यमंत्रियों की बात करे तो लगभग सभी पर किसी ना किसी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप लगा ही है। इन लिस्ट में कुछ मुख्यमंत्री ऐसे है जो निर्विवाद रूप से किसी भी पार्टी के नेता उन्हें ईमानदार मानते ही है, चाहे कितनी प्रतिद्वंद्विता क्यों ना हो। कुल मिलाकर हम ये कह सकते है कोई भी सरकार हो शासन में आते आरोपो का लगना जैसे आम बात हो गयी है।
तो भ्रष्टाचार और सरकार का हमेशा से चोली दामन का साथ रहा है। कोई ऐसी सरकार नहीं जिसने कोई ऐसा फैसला लिया हो जो पूरी तरह जनता के हक़ में हो कही ना कही किसी ना किसी तरह से हर फ़ैसला प्रेरित रहा है। अगर जनता को इससे छुटकारा नहीं मिलता है तो वो दिन दूर नहीं जब भेड़िया आया भेड़िया आया वाली कहावत सिद्ध होती नज़र आएगी। सारे राजनितिक दल एक कोने में बैठे नज़र आएंगे और राष्ट्रपति जी का शासन हो रहा होगा क्योंकि किसी को आम जनता बहुमत ही नहीं देगी।
ये 65 सालो का भ्रष्टाचार कुछ दिन खत्म नहीं हो पायेगा, इसे मिटाने के लिए काफी मेहनत और काफी समय की जरुरत होगी और हमे देना होगा, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे खून में है। इसको बार बार डायलिसिस की जरुरत है। जनता समय देने के लिए तत्पर है लेकिन कोई सरकार इस ओर कदम तो बढ़ाये ईमानदारी से।
देश के बढते भ्रष्टाचार को रोकना जरूरी है। यह जनता की मन से इच्छा है क्योंकि जनता ही है जो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार से ग्रषित है। 2011 में अन्ना का आंदोलन सिर्फ अन्ना और सरकार के बीच आंदोलन नहीं रह गया था। इसके लिए पूरे देश की जनता खड़ी हो गई थी। खास तौर पर युवाओ के योगदान की सराहना करनी होगी। जो बड़े पैमाने पर रास्ते पर उतर आई थी। देश के हर राज्य में, हर जिले यहाँ तक की गांव स्तर पर यह आंदोलन का रूप लेना, जनता का गुस्सा दर्शाता है भ्रष्टाचार के खिलाफ। आजादी के बाद पहली बार देश में इतना बड़ा आंदोलन जनता ने किया था। और ऐसा पहली बार हुआ जो इतना बड़ा आंदोलन बिना किसी हिंसा के संपन्न हुआ, ये जनता की सहिष्णुता दर्शाता है। आजकल कोई एक राजनितिक पार्टी बता दे जिसके आंदोलन में हिंसा ना हो।
बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण देश की जनता कांग्रेस सरकार से नाराज हो गई थी। ऐसी स्थिति में जब देश में 2014 में लोकसभा का चुनाव आया और बीजेपी ने जनता को आश्वासन दिया कि, हमारी पार्टी सत्ता में आती है तो हम भ्रष्टाचार के विरोध की लड़ाई को प्राथमिकता देंगे। जनता ने बीजेपी पर विश्वास किया, और जनता ने बीजेपी की सरकार बनवाई। लेकिन आज भी कहीं पर भी बिना पैसा दिए जनता का काम नहीं होता है। न ही महंगाई कम हुई है। कांग्रेस सरकार और बीजेपी की सरकार में विशेष तौर पर भ्रष्टाचार के बारे में कोई फर्क दिखाई नहीं देता है। लोकसभा का पूरा का पूरा सत्र झगड़े में जा रहा है। जनता का करोडों रुपया बर्बाद हो रहा है।
बीजेपी ने जनता को यह भी आश्वासन दिया था कि, हमारे देश का काला धन जो विदेशों में छुपा है, उसको हमारी पार्टी के सत्ता में आने पर 100 दिन के अंदर देश में वापस लाएंगे और हर व्यक्ति के बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपया जमा करेंगे। उस से देश का भ्रष्टाचार कम होगा। लेकिन आज तक किसी व्यक्ती के बैंक अकाउंट में 15 लाख तो क्या 15 पैसे भी जमा नहीं हुए है।
बीजेपी की सरकार को सत्ता में आ कर डेढ साल से ज़्यादा समय हो चुका है। लेकिन भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जो लोकपाल और लोकायुक्त कानून बना है, उस पर न तो सरकार कुछ बोलती हैं और न ही उस पर अमल करती हैं। हम उम्मीद लगाए हुए है कि कभी मन की बात में लोकपाल और लोकायुक्त के विषय पर प्रधानमंत्री जी कुछ ना कुछ बोलेंगे। क्यों कि भ्रष्टाचार के विरोध की लडाई को प्राथमिकता देने की बात देश की जनता से बीजेपी ने ही कही थी।
हो सकता है, उन बातों का शायद आपको विस्मरण हो गया हो, इसलिए आपको फिर से याद दिलाना आवश्यक है की हमने करोड़ों की संख्या में लोकपाल और लोकायुक्त के लिए देश में आंदोलन किया था। आश्वासन दे कर उस पर अमल नहीं करना यह, उन देशवासियों का अपमान है।
भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए और भी कई आश्वासन दिए थे। लेकिन उनकी पूर्ति नहीं हुई है। कृषि-प्रधान देश के किसानों को बीजेपी ने आश्वासन दिया था कि, किसान खेती में पैदावारी के लिए जो खर्चा करता है, उसका डेढ़ गुना मूल्य किसानों को अपनी खेती की पैदावारी से मिलेगा। लेकिन आज भी खेती माल को सही दाम ना मिलने के कारण देश का किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। देश की जनता की भलाई के लिए और देश के उज्जवल भविष्य, देश के विकास के लिए किसानो के हितो की रक्षा करना आवश्यक हो गया है।
सरकार में आते ही कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे जैसे अरुण जेटली जी पर डीडीसीए में हेर फेर का आरोप, राजस्थान की मुख्यमंत्री पर ललित मोदी से सांठ गाँठ का आरोप, सुषमा स्वराज पर ललित मोदी का सहायता करने का आरोप और भी कई मंत्रियों पर छोटे मोठे आरोपो का लगना।
दिल्ली की मुख्यमंत्री की बात करे तो उनके कई मंत्रियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनमे से कई तो आज कल जेल में है।अरविंद केजरीवाल के ही शब्दों में राजनीती एक कीचड़ है जिसमे जाने के बाद कोई भी साफ़ नहीं रह सकता है। और भी कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों पर।
बिहार के मुख्यमंत्री की बात करते है उनके ऊपर भी भ्रष्टाचारियों के साथ मिलकर सरकार बनाने का आरोप लगा, कुछ हद तक ये सही भी है। क्योंकि जिन्होंने 90 का दशक जिया है बिहार में वे वाकिफ़ है इस बात से की किस कदर भ्रष्टाचार चरम पर था, बिहार में।
अगर हम सारे मुख्यमंत्रियों की बात करे तो लगभग सभी पर किसी ना किसी तरह के भ्रष्टाचार का आरोप लगा ही है। इन लिस्ट में कुछ मुख्यमंत्री ऐसे है जो निर्विवाद रूप से किसी भी पार्टी के नेता उन्हें ईमानदार मानते ही है, चाहे कितनी प्रतिद्वंद्विता क्यों ना हो। कुल मिलाकर हम ये कह सकते है कोई भी सरकार हो शासन में आते आरोपो का लगना जैसे आम बात हो गयी है।
तो भ्रष्टाचार और सरकार का हमेशा से चोली दामन का साथ रहा है। कोई ऐसी सरकार नहीं जिसने कोई ऐसा फैसला लिया हो जो पूरी तरह जनता के हक़ में हो कही ना कही किसी ना किसी तरह से हर फ़ैसला प्रेरित रहा है। अगर जनता को इससे छुटकारा नहीं मिलता है तो वो दिन दूर नहीं जब भेड़िया आया भेड़िया आया वाली कहावत सिद्ध होती नज़र आएगी। सारे राजनितिक दल एक कोने में बैठे नज़र आएंगे और राष्ट्रपति जी का शासन हो रहा होगा क्योंकि किसी को आम जनता बहुमत ही नहीं देगी।
ये 65 सालो का भ्रष्टाचार कुछ दिन खत्म नहीं हो पायेगा, इसे मिटाने के लिए काफी मेहनत और काफी समय की जरुरत होगी और हमे देना होगा, क्योंकि भ्रष्टाचार हमारे खून में है। इसको बार बार डायलिसिस की जरुरत है। जनता समय देने के लिए तत्पर है लेकिन कोई सरकार इस ओर कदम तो बढ़ाये ईमानदारी से।