Thursday, 27 September 2018

Clean logs files database Magento

Clean logs files database Magento

How to clean logs files database magento?

Magento is an e-commerce platform which is most secure e-commerce open-source platform. So it has lot of security implementation into files or database as well. That's why it always produces of lot of temporary date in files as well as into database. After some time you can see that your website as well as your database is getting heavy on daily basis. So it affects the performance of tasks and processing of store. To keep the store clear and healthy we must schedule a regular cleaning of our magento store.  

Cleaning logs need to be done as per below steps:
  1. Clearing file logs in magento file directory. Following are the list of directories which contains log data. So we need to remove files inside the directories of below to clear logs.
    1. downloader/.cache/
    2. var/cache/
    3. var/locks/
    4. var/log/
    5. var/report/
    6. var/session/
    7. var/tmp/
  2. Clearing magento database logs. We need to truncate below listed tables to clear database logs from magento set of database:
    1. core_cache
    2. core_cache_tag
    3. core_session
    4. dataflow_batch_export
    5. dataflow_batch_import
    6. log_customer
    7. log_quote
    8. log_summary
    9. log_summary_type
    10. log_url
    11. log_url_info
    12. log_visitor
    13. log_visitor_info
    14. log_visitor_online
    15. index_event
    16. index_process_event
    17. report_event
    18. report_viewed_product_index
    19. report_compared_product_index
Nature of open-source Platform
Due to the nature of free and open-source software and the ubiquity of its components, each and every component of the Magento stack is very well tested regarding performance and security and there is an abundance of experienced contractors to do the tailoring respectively the system administration. There is also a constant development going on.

Payment Gateway with Magento
A payment gateway is an e-commerce application service provider service that authorizes credit card payments for e-businesses, online retailers, bricks and clicks, or traditional brick and mortar. It is the equivalent of a physical point of sale terminal located in most retail outlets. Payment gateways protect credit card details by encrypting sensitive information, such as credit card numbers, to ensure that information is passed securely between the customer and the merchant and also between merchant and the payment processor. A payment gateway facilitates the transfer of information between a payment portal (such as a website, mobile phone or interactive voice response service) and the Front End Processor or acquiring bank.

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Saturday, 8 September 2018

सोशल मीडिया का मकरजाल

जिंदगी कितनी खुबसूरत होती है, जब आप किसी राजनैतिक पार्टी की ना तो तरफदारी करते है, ना ही विरोध करते है। खासकर तब जब आप ना तो कोई टीवी डिबेट देखते है और ना ही सोशल मीडिया पर दोस्तों का टाइमलाइन देखते है। और तो और किसी भी पेपर को पढने के बाद उसकी किसी बात को दिल पे ना लेते हुए उसको एक जानकारी का साधन समझते हुए पढ़ जाते है। किसी नेता को फॉलो करने के बाद भी उसके किसी बात पर कोई टिपण्णी नहीं करते है तो वाकई में लगता है जिंदगी कितनी खुबसूरत है। अपने में मग्न, क्या करना है और क्यों करना है ऐसी बातो पर बहस। जब ना तो सरकारे बदलती है ना सरकारों के काम करने का तरिका तो क्यों ना चुपचाप अपनी जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने की कोशिश की जाए।
क्यों ना किसी गरीब की किसी प्रकार से सहायता के बारे में सोचना चाहिए। सरकारे आती जाती रहती है उसके काम करने का तरीका नहीं बदलता है, क्योंकि उनके रिसोर्स तो वही रहते है तो कैसे कोई सरकार बदल जाए कोई घोटाले करने में मस्त है फिर भी हम बुद्धिजीवी बने अपने शब्दों के जाल में एक आम आदमी को भटकाए रहते है। उसने तुम्हारे लिए क्या किया था/है हमने तो तुम्हारे लिए ये किया था/है सरकारे बदलती है सोच तो बदलती नहीं क्योंकि सोच तो वही है जिसको हम नौकरशाह कहते है। बुद्धिजीवी वही है जो कल भी वही थे आज भी वही है बस उनके शब्दों का जाल थोडा सीधा/उल्टा हो गया है।

यही एक भ्रमजाल है जिसके अन्दर हमें एक ऐसे चक्रव्यूह में डाल दिया जाता है। जिसके अन्दर हम अभिमन्यु की तरह लड़ते लड़ते आखिर में अपना दम तोड़ देते है और डालने वाले कौन होते है यही चंद राजनेता, यही चंद बुद्धिजीवी तथा यही चंद नौकरशाह नामक दुर्योधन, कृपाचार्य और कर्ण नाम के योधाओ के मध्य अभिमन्यु की तरह मारे जाते है। जिसे यह भान/खुशफहमी होता है की वह यह जाल तो तोड़ ही देगा और इसी भ्रम में इनके चक्रव्यूह में एक बार घुस गए तो हम भी उसी अभिमन्यु की तरह आखिरकार वीरगति को प्राप्त हो जाते है। और हमारी वीरगति के बाद हमें ऐसे दफनाया/जलाया जाता है जैसे हमने कोई ऐसा काम किया है जिसको आजतक किसी ने नहीं किया है। लेकिन वही जब यह युद्ध ख़त्म होता है तो हमारे बारे में किसी को पता तक नहीं होता है। आखिरकार कौन बचता है वही नौकरशाह नमक कृपाचार्य, नेता नमक दुर्योधन तथा बुद्धिजीवी नामक कर्ण के पुतले लगते है और इन्ही की किताब छपती है जिससे ये पैसे भी कमाते है और बाद में शौर्य पुरष्कार या कोई नागरिक पुरस्कार देकर इनको इतिहास में नाम दे दिया जाता है।

बेहतर है अपने में खुश रहिये अपने आस पास देखिये सबको खुश तो नहीं किया जा सकता है लेकिन सबके साथ खुश जरुर रहा जा सकता है।
धन्यवाद

Wednesday, 22 August 2018

बिहिया कांड और हमारी मानसिकता

बिहिया कांड और हमारी मानसिकताबिहार के बिहिया में हुई घटना पुरे समाज को शर्मसार करने वाली है लेकिन शायद हमें कोई फर्क पड़ता हो क्योंकि वहां ना तो हमारा कोई रिश्तेदार है ना ही यह घटना हमारे किसी जानने वाले के साथ हुई है तो बेकार में अपना खून क्यों जलाना। कब हम ऐसी घटनाओं पर कुछ नहीं कर सकते है तो कम से कम अपनी प्रतिक्रिया तो देना शुरू करे। क्या ऐसी घटनाओं का भी किसी राजनैतिक पार्टियों से लेना देना होता है या किसी एक पर इसका ठीकरा फोड़कर आगे बढ़ा जा सकता है शायद नहीं। चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो या किसी भी पार्टी से ताल्लुक रखने वाले नेता हो हम आम आदमीं है इसके बारे में बिना किसी पार्टी से पक्षपात किये हम ऐसी घटनाओं की भर्त्सना कर सकते है।

बिहार एक ऐसी धरती है जहाँ ऐसी घटनाओं के लिए नैतिक तौर पर कोई जगह नहीं है चाहे वह इतिहास में से किसी का भी शासनकाल रहा हो। यही वह धरती है जहाँ बुध्ध और महावीर तक ने दो नए शान्ति धर्मो को विश्व के सामने लाया। यही वह धरती है जहाँ की नालंदा या विक्रमशिला विश्वविद्यालय मशहूर हुई। यह वही धरती है जहाँ जय प्रकाश नारायण से लेकर कर्पूरी ठाकुर जैसे इमानदार राजनेता पैदा हुए। आचार्य विष्णुगुप्त हो या अशोक या शेरशाह सूरी सबकी कर्मभूमि यही रही है फिर ऐसा क्या है जो आज हम इतने कमजोर है की हम एक आवाज तक नहीं उठा सकते है।

यह सिर्फ शर्मिंदा करने या होने वाली घटना नहीं है जिसके ऊपर दो शब्द या दो मिनट का मौन धारण कर चिंता जता दी जाय। यह एक ऐसी शर्मनाक घटना है जिसके हम या हम जिस समाज में रहते है वह जरुर जिम्मेदार है। क्योंकि भीड़ के मार डालने वाली घटना तो बहुत सुनी होगी लेकिन बिहिया में हुई घटना में उन दो चार दस लडको के पीछे चलने वाले क्या भीड़ नहीं थे या ये भीड़ सिर्फ दिखावे के लिए था और यह भीड़, भीड़ नहीं बल्कि यह एक हिजड़ो की फ़ौज थी। लेकिन शायद अगर यही घटना हिजड़ो की बस्ती में हुआ होता तो शायद ही कोई भीड़ ऐसा करने की हिमाकत कर पाता। जिन लडको ने इस घटना को अंजाम दिया है वह किसी ना किसी का भाई, बेटा या पिता अवश्य होगा। क्या ऐसे लोग घर जाकर अपने परिवार में घर की औरतो से आँख में आँख मिलाकर बात कर पाते होंगे। ऐसे लोग हमारे समाज का ही एक हिस्सा है। यह एक ऐसी मानसिकता है जिसमे हर कोई अपने परिवार की औरतो को छोड़कर सभी औरतो को निवस्त्र देखना चाहता होगा तभी यह भीड़ उस घटना के पीछे पीछे चल पड़ी। इसी भीड़ में से कुछ लोग मोबाइल से विडियो बनाकर वायरल करते है और हमारा समाज मूकदर्शक बना रहता है।

यह कैसे मानसिकता है जो हमें मजबूर कर रही है ऐसी घटनाओं की अनकही गवाह बनने का लेकिन हम ना तो कुछ बोलते है ना ही करते है ना ही हम सरकार से सवाल करते है। क्यों राजनीती के चक्कर में हम समाज में हों रही कृत्यों को भी राजनीती के चश्मे से देखना बंद नहीं कर पाते है। क्या समाज में किसी बेटी की इज्जत में भी यह पार्टी या वह पार्टी या यह समुदाय या वह समुदाय की हो सकती है? एक लड़की को लड़की की नजर से देखने की आवश्यकता है वह हममे से किसी एक की बेटी है की नजर से देखने की आवश्यकता है। जो लोग ऐसी घटनाओ को इधर या उधर की नजर से देखते है वे कभी भी किसी एक घटना के बारे में सर्वसम्मत नहीं हो सकते है ना ही वे किसी एक घटना के प्रति निष्ठावान ह सकते है, ना ही इनका कोई ठोस राय होता है किसी एक मुद्दे के प्रति।

हमें हर ऐसी घटना चाहे वह मुजफ्फरपुर हो या दरभंगा या बिहिया जैसे घटना हो। हर घटना की आम आदमी के तौर पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते है हम सबको एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। अगर आपके भी दिल में दुःख होता है ऐसी घटनाओं से जागिये और बोलिए इससे पहले की देर हो जाय। जहाँ भी जैसे है अपनी तरफ से बोलिए लोगो को जागरूक कीजिये समाज के प्रति हमारी अपनी भी एक जिम्मेदारी बनती है। यह मत भूलिए की जो भी ऐसा करता है हम भी उसी समाज का एक हिस्सा है।

धन्यवाद

Saturday, 18 August 2018

अटल बिहारी वाजपेयी को अश्रुपूरित श्रधांजली

भारत रत्न माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी जिन्होंने १६ अगस्त २०१८ को अपनी अंतिम सांस ली। जो एक प्रखर वक्ता, एक कवि, एक सुलझे हुए व्यक्ति, संवेदनशीलता का जीता जागता समुन्द्र जो हर दिल अजीज थे। आज यानी १७ अगस्त २०१८ को पंचतत्व में विलीन हो गए। पंचतत्व में विलीन तो उनका दैहिक शरीर हुआ है लेकिन उनकी वाणी, उनकी पंक्तिया, उनका जीवन सन्देश हम सबके बीच है और हमेशा रहेंगी। ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी की कविताएँ जितनी जीवंत लगती है उतनी ही जिंदगी से जुड़ी हुई भी लगती है। इसी का जीता जागता उदहारण है कविता "गीत नया गाता हूं" जिसकी पंक्तियाँ "हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं" जन जन को याद है।

उनके प्रखर वक्ता होने के कई प्रमाण है जो उन्हें ऐसा साबित करते है जैसे संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर पुरे विश्व में अपना लोहा मनवाया हो या संसद में विश्वास मत के दौरान जवाब देते हुए यह कहना की "सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगा-बिगड़ेंगी पर यह देश रहना चाहिए...इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए....", यह साबित करता है उनकी देश के प्रति प्यार को। जो भी उनको करीब से जानते है सबका कहना है उनके लिए सर्वप्रथम देश है उसके बाद कुछ और चाहे वह अपनी पार्टी की सरकार हो या पार्टी। १० बार लोकसभा के सांसद और 2 बार राज्यसभा के सांसद उनकी जनता के बीच लोकप्रियता को दर्शाता है। उसके बाद भी उनके पास कोई अकूत संपत्ति नहीं है उनकी सार्वजानिक जीवन में इमानदारी को दर्शाता है। हमारे समय के बच्चे जिन्होंने गलियों में लाउडस्पीकर पर सांसद और विधायक के चुनाव का प्रचार देखा है जहाँ नेताओ को नेता मतलब बईमान कहकर पुकारा जाता था और अटल जी का नाम आते ही कीचड़ में कमल को खिलने वाला बताकर उनकी सत्यनिष्ठा और इमानदारी की दुहाई दी जाती रही है। तो उनकी शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही कारण है की १७ अगस्त २०१८ को उनकी आखिरी यात्रा में शामिल लोगो के हुजूम से साबित होता है इतनी लोकप्रियता इनसे पहले अगर किसी नेता के लिए दिल्ली की सड़को पर देखा गया तो वे राजीव गाँधी जी थे।

आज उनको अंतिम श्रधांजलि के फुल अर्पित करते विपक्षी दलो के नेताओ को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल था की ये वही अटल जी जो भाजपा से प्रधानमन्त्री चुने गए थे। जिससे उनकी सार्वभौमिकता सभी राजनैतिक दलों में साबित करता है। शायद उनकी सभी पार्टियों में लोकप्रियता का इस वजह से भी थी क्योंकि वे बड़ी से बड़ी बात बड़ी आसानी से चुटकियों में हास्य स्वरुप में कह डालते थे। अगर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखना हो तो कारगिल युद्ध के समय उनकी एक प्रेस वार्ता को देखकर उनके भावो को पढ़ा जा सकता है। एक य्युग पुरुष को कैसे कुछ शब्दों में बांधा जा सकता है वे अटल है अमर है अजर है। उनकी वाकपटुता को उनके ही एक वक्तव्य से जाना जा सकता है की "मैं पत्रकार होना चाहता था, बन गया प्रधानमंत्री, आजकल पत्रकार मेरी हालत खराब कर रहे हैं, मैं बुरा नहीं मानता हूं, क्योंकि मैं पहले यह कर चुका हूं..."। वो भारत के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री हुए जिन्होंने ५ वर्ष कर कार्यकाल पूरा किया और देश को कांग्रेस के आगे भी भारत का भविष्य देखने का सपना दिखाया। एक शिखर राजनैतिक पुरुष जिन्होंने भारत को विश्व पटल पर लाने में प्रमुखता से भूमिका निभाई उनकी दरियादिली इस बात से साबित होती है की लाहौर बस यात्रा के बाद कारगिल युद्ध में मुशर्रफ का हाथ होने के बाद भी उन्होंने मुशर्रफ से आगरा में शिखर वार्ता किया वे सिर्फ दरियादिल ही नहीं थे। वे मजबूत इच्छाशक्ति के साथ साथ मजबूत शख्सियत के भी धनी व्यक्ति थे क्योंकि उनके द्वारा 13 महीने की सरकार रहते १९९८ में पोखरण में परमाणु परिक्षण कर अपनी दृढ इच्छाशक्ति दिखाई।

एक ऐसी शख्सियत जो एक ओजस्वी कवि, एक संवेदनशील व्यक्ति तथा एक वक्ता जो अपनी वाणी से किसी का भी दिल जीत लेने की क्षमता रखता हो, उनकी जिंदगी अपने आप में एक ग्रंथ है आप चाहे तो उनकी जिंदगी का कोई भी हिस्सा एक अध्याय समझ कर पढ़ लीजिये आपको कुछ ना कुछ अवश्य मिलेगा सिखने को।

श्रधांजली देने की एक छोटी सी कोशिश ऐसे शख्स को जो खुद कलम का सिपाही हो और वाकपटुता में माहिर हो।

अगर कुछ गलती हुई हो तो माफ़ी चाहता हूँ।
धन्यवाद।।।

Wednesday, 15 August 2018

हम कितने स्वतंत्र है?

Independence Day
15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस की आप सभी को बधाई।

आज स्वतंत्रता दिवस है सोचनीय है किस हद तक हम आजाद है।
हमारे ख्याल कितने आजाद है?
हम आर्थिक रूप से कितने आजाद है?
हमारी सीमाएं कितनी आजाद है?
हम भीड़ तंत्र से कितने आजाद है?
हम महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर कितने आजाद है?
हम दहेज उत्पीड़न से कितने आजाद है?

  1. महिलाओं के यौन उत्पीड़न से आज़ादी कब?
  2. गरीबी से आजादी कितनी?
  3. अशिक्षा से आजादी कब?
  4. भूखमरी से आजादी कब?
  5. अंधकार से आजादी कब?
  6. भ्रष्टाचार से आजादी कब?
  7. अंध विश्वास से आजादी कब?
  8. जातिवादी सोच से आजादी कब? 
  9. प्रदुषण से आजादी कब?
  10. ऐसे कई सवाल है जो मन में लेकिन हम कब अपनी हीनभावना की सोच से आजाद होंगे?

सोचना आपको है या आप तो सिर्फ वही सोचिये जो आपको सोचने को मजबूर किया जा रहा है चाहे राजनैतिक पार्टियाँ हो या एक समुदाय विशेष या एक वर्ग विशेष बुद्धिजीवी इत्यादि। हम यह नही कहते उपरोक्त बातें कुछ दिन या कुछ सालों में बदल जायेगा इसके लिए सालों लगेंगे जिसके लिए हमे सतत ईमानदार प्रयास करते रहने होंगे।

सोचना आपको है अगर आप नही सोच सकते तो आप राष्ट्रीय मिठाई जलेबी का लुत्फ लीजिए तथा एक सिनेमा देखते हुए अपनी छुट्टी का आनंद लीजिए।

एक बार फिर से पूरे देशवाशियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


Monday, 6 August 2018

How to group Security Headers for web application using htaccess?

Group Security Headers htaccess

X-XSS-Protection sets the configuration for the cross-site scripting filters built into most browsers. The best configuration is “X-XSS-Protection: 1; mode=block”.
X-Frame-Options tells the browser whether you want to allow your site to be framed or not. By preventing a browser from framing your site you can defend against attacks like clickjacking.
X-Content-Type-Options stops a browser from trying to MIME-sniff the content type and forces it to stick with the declared content-type. The only valid value for this header is “X-Content-Type-Options: nosniff”.
Content Security Policy is an effective measure to protect your site from XSS attacks. By whitelisting sources of approved content, you can prevent the browser from loading malicious assets. Analyse this policy in more detail.
Referrer Policy is a new header that allows a site to control how much information the browser includes with navigations away from a document and should be set by all sites.
Feature Policy is a new header that allows a site to control which features and APIs can be used in the browser.
Strict-Transport-Security HTTP is an excellent feature to support on your site and strengthens your implementation of TLS by getting the User Agent to enforce the use of HTTPS.
#X-XSS-Protection
Header set X-XSS-Protection "1; mode=block"

#X-Frame-Options
Header set X-Frame-Options DENY

#X-Content-Type-Options
Header always set X-Content-Type-Options "nosniff"

#Content-Security-Policy
Header set Content-Security-Policy "default-src 'self'; script-src 'self';"

#Referrer-Policy
Header always set Referrer-Policy "same-origin"

#Feature-Policy
Header always set Feature-Policy "microphone 'none'; payment 'none'; sync-xhr 'self' https://www.shashidharkumar.com"

#Strict-Transport-Security
Header set Strict-Transport-Security "max-age=31536000" env=HTTPS
X-XSS-Protection, X-Frame-Options, X-Content-Type-Options, Content-Security-Policy, Feature-Policy, Strict-Transport-Security

Tuesday, 1 May 2018

समाज में होने वाले दुष्कृत्य का जिम्मेदार कौन?

बिहार में एक तेरह साल की बच्ची के साथ कुछ अल्पवयस्क लड़कों ने सड़क पर जो घिनौना दृश्य प्रस्तुत किया वह कही से भी एक सभ्य समाज के लिए सही नहीं कहा जा सकता है तो इसका क्या मतलब हम समाज को भेड़ियो का समाज या सांपो का समाज या जानवरों का समाज कहना शुरू कर दे। शायद नहीं क्योंकि अगर किसी समाज में एक मुठ्ठी भर ऐसे असामाजिक दुस्चरित्र वाले लोग रहते हो तो समाज को सोचना पड़ेगा। क्या ऐसी छेड़छाड़ की घटनाए सिर्फ लड़कियों के साथ होती है शायद नहीं क्योंकि एक रिपोर्ट के अनुसार जितनी संख्या में लड़कियां ऐसी घटनाओ की शिकार होती है उससे कही ज्यादा अल्पवयस्क बच्चे ऐसी यौनउत्पीडन के शिकार होते है इसी वजह से सरकार ने POCSO Act 2012 में बदलाव किया है जिसमे यौन उत्पीड़न के मामलो में अब लड़कियों के साथ लडको को भी शामिल किया है।

इस विडियो में सारे लड़के जो इस घटना में शामिल है ऐसा लगता है सभी अल्पवयस्क है इसको शत प्रतिशत दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन कुछ तो है ही तो आप सोचिये की समाज में मानसिकता किस हद तक नीचे जा चुकी है। ऐसी घटना जो दिन दहाड़े एक रोड पर ऐसी घटना का होना यह दर्शाता है समाज की इस नैतिक ह्रास के कही ना कही हम भी जिम्मेदार है। हिम्मत देखिये एक अल्पव्यस्क मोबाइल से शूट कर रहा है, जो कि बाद में सोशल मीडिया पर डाल दिया गया। ऐसा लगता है घटना के वक्त कुछ लोग आसा पास में है लेकिन किसी ने भी उस लड़की को बचाने की कोई कोशिश नहीं की वह लड़की खुद ही लड़ती रही, लड़के हँसते रहे, और उसके कपड़े फाड़ते रहे। ये किस तरह की दरिंदगी है जहाँ हम उस लड़की को बचा नहीं पाते है जिसकी वजह से हम मर्दों का अस्तित्व है अगर हमारी बहन, माता बेटी ना हो तो हमारा कोई अस्तित्व नहीं है यह हम सबको समझना होगा।

मैं पहले भी कहता रहा हूँ अगर हम ऐसी घटनाओं को रोकने में असफल हो रहे है तो कही ना कही सामाजिक तौर पर ऐसे समाज के साथ साथ उसमें रहने वाले ऐसे लडको से ज़्यादा ज़िम्मेदार हैं। आप ऐसी घटनाओं के लिए हमेश सरकार को नहीं जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते है क्योंकि इसमें पुलिस या प्रशासन तो तब हरकत में आएगी जब अपराध का संज्ञान उस तक पहुंचेगा, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी है की जब भी ऐसे केस उनके सामने आये वे पूरी संवेदनशीलता के साथ इसको अपने परिवार में हादसा समझकर इसको अंत तक ले जाए जिससे आगे ऐसा करने वाले के ऊपर पुलिस या प्रशासन का भय पैदा हो।

ऐसी घटनाओं का ऐसे समय पर होना जब माहौल इन मुद्दों को लेकर गर्म है और हर आदमी कठुआ, उन्नाव और ग़ाज़ियाबाद की बातें कर रहा है? क्या सच में अपराधियों का मन बढ़ गया है या फिर समाज उदासीन हो गया गया है? हालाँकि पुलिस ने एक्शन लेते हुए कुछ अपराधियों को गिरफ़्तार कर लिया है, लेकिन कठुआ के संदर्भ में जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री का यह बयान आना कि कठुआ जैसी घटना एक छोटी सी घटना है, जिसे तूल नहीं देना चाहिए। लेकिन कोई भी ऐसी घटना क्या इतनी छोटी होगी जब ऐसे ताकतवर नेताओ के परिवारों के साथ घटित होगी। चाहे घटनाएं किसी के साथ भी हो ऐसा घटनाएं समाज के माथे पर कलंक की तरह है जो किसी भी सभ्य व्यक्ति को नागवार गुजरेगी।

चाहे ऐसी घटनाएं किसी लड़की के साथ भी हो हम सबको आगे आकर हर ऐसी घटना की निंदा करनी होगी और अपने सामाजिक परिवेश में रह रहे अगली पीढ़ी को संवेदनशील बनाना पड़ेगा ताकि वे कीसी की भी बहन, बेटी और माँ की इज्जत करना सीखे ना की सिर्फ अपनी बहन, बेटी या माँ की। दिन दहाड़े सड़क पर एस घटनाओं के जिम्मेदार हम खुद ही है कही ना कही तो आइये हम सब मिलकर ऐसी किसी भी घटना की जिम्मेदारी लेकर समाज को उत्कृष्ट बनाने की कोशिश में अपना अपन योगदान दे ताकि हमारी आगे वाली पीढ़ी एक स्वस्थ, सुन्दर और सुरक्षित समाज में सांस ले सके।

#JusiceForAll #JusiceForAllGirl #BoycottRapist

Wednesday, 28 March 2018

सोशल मिडिया पर डेटा चोरी

लोग डेटा चोरी का आरोप प्रत्यारोप वाला खेल में मग्न है लेकिन जब आप 10 रुपैया कैशबैक के चक्कर मे अपना फ़ोन नंबर, ईमेल आईडी या अपना लोकेशन शेयर करते है तब शायद आप यह नही सोचते है। लेकिन चूँकि राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी ने एक दूसरे के प्रति यह बात उठाई है तो कही ना कही हम भारतीय पैदायशी राजनैतिक गुरु होने के नाते हम भी इस छींटाकशी में सम्मिलित हो जाते है।

क्या आप आज की तारीख में अगर आप स्मार्टफोन उपभोक्ता है तो सोच सकते है किसी भी एप्प को मैं अपना मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी या अपनी लोकेशन नही दूँगा तो बेहतर है आप बेसिक मोबाइल ही उपयोग कर लीजिए। क्योंकि स्मार्टफोन का मतलब साफ है आप कही ना कही आप किसी ना किसी एप्प को अपनी व्यक्तिगत जानकारी दे ही रहे है चाहे ना चाहते हुए ही सही लेकिन आप दे तो रहे है उन्हें अपने डेटाबेस में संग्रह करने के लिए फिर क्यों इतना हाय तौबा क्या इसीलिए क्योंकि आपकी अपनी राजनैतिक पार्टी आप जिसका समर्थन करते है उन्होंने अपनी विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया है।

आप यही उस भ्रमजाल में फंस रहे है जिसका नाम शार्क है आप कही भी जाएंगे एक शार्क से बचेंगे लेकिन दूसरी शार्क आपको निगलने के लिए तैयार बैठी है। तो आप यह मान के चलिये की आपका निगला जाना तय है तो आप किस शार्क के द्वारा निगल जाना पसंद करेंगे यह आपकी इच्छा पर निर्भर है।

आपको दुनिया मे कोई भी चीज मुफ्त में उपलब्ध नही है तो आप सोचिये की जिसका आप अपने हाथ मे रखे स्मार्टफोन से इतना ज्यादा इस्तेमाल करते है तो एक सॉफ्टवेयर अभियंता से पता कीजिये उसका मूल्य क्या हो सकता है जिसका आप बिना किसी मूल्य के उपयोग कर रहे है तो आपको खुद बखुद अंदाजा हो जाएगा कि आपको मुफ्त में क्यों मिल रहा है। अगर इतनी महंगी चीज आपको मुफ्त में मिल रही है तो सोचना आपको होगा कही आप खुद तो पैसे बना के तो नही दे रहे है। जी आप खुद उसके ग्राहक है जिसको वह पैसे के लिए कभी भी कुछ भी परोस रहा है।

जितनी मेरी अनुभव कहती है उसके हिसाब फेसबुक या कोई भी ऐसी जगह जो आपको मुफ्त में इतनी सारी सूचनाएं प्रदान करता है कही ना कही आपकी गोपनीयता को गोपनीय तरीके से किसी ना किसी प्रकार किसी और को गोपनीय तरीके से परोस रहा है।

तो सिर्फ सुरक्षा संबंधी बातो का ध्यान ना रखे अपने प्रोफाइल से हो रही गतिविधियों के प्रति सजग रहे। क्योंकि 99℅ भारतीय जो सोशल मीडिया उपयोग करते है उनको यह पता तक नही होता है कि क्या हो रहा है कैसे हो रहा है। और कई बार ऐसी बाते साझा करते है जिनके बारे में बाद में पछताते है। जिससे आपकी पसंद, नापसंद, खाना, पीना, अच्छा,खराब, आप कहाँ कहाँ जाते है सबकी जानकारी साझा करते है जिससे एक आम इंसान भी आपके प्रोफाइल को देखकर आपके बारे में 80% बाते बता सकता है।

सजग रहिये सतर्क रहिये।
जय हिंद जय भारत।

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